छत्तीसगढ़ प्रदेश की राज्यपक्षी पहाड़ी मैना अब पिंजरे में कैद होकर नहीं रहेगी। विशेष उपकरण लगाकर इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। इनकी नैसर्गिक आवास में रहने की सारी गतिविधियां कम्प्यूटर में दर्ज की जाएंगी। इस दिशा में मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एवं परियोजना कार्यालय ने कार्य योजना बनाना प्रारंभ कर दिया है। बता दें कि जगदलपुर स्थित वन विद्यालय में वर्ष 1992 से लगातार मैना संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। परंतु अब तक कोई सफलता नहीं मिली है वहीं उम्रदराज होने तथा विभिन्न् घटनाओं से कई मैना की मौत हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ राज्य वन्यप्राणी बोर्ड के सदस्य हेमंत कश्यप ने बताया कि तेजी से लुप्त हो रही बस्तर की पहाड़ी मैना को राज्यपक्षी का दर्जा दिया गया है वहीं इसके संरक्षण और संवर्धन का प्रयास पिछले 28 वर्षों से जारी है। इसके बावजूद वन विद्यालय स्थित ब्रीडिंग सेंटर में मैना का संवर्धन नहीं हो पाया।
विडंबना यह भी है कि पक्षी विशेषज्ञ यह भी नहीं बता पाए हैं कि विशाल पिंजरे में रखी गईं मैना नर है कि मादा? अनेक प्रयासों के बाद अब अभय कुमार श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) एवं परियोजना ने मैना संवर्धन की दिशा में एक नई कार्ययोजना तैयार की है।
वन्यजीव बोर्ड के सदस्य को अधिकारी ने बताया कि पिंजरे में बंद मैना में सूक्ष्म उपकरण लगाए जाएंगे तत्पश्चात इन्हें जंगलों में छोड़ दिया जाएगा। ऐसा करने पर मैना अपने नैसर्गिक आदर्श वास में पहुंचेगी, जिसके चलते उन इलाकों में रहने वाली अन्य पहाड़ी मैना की भी जानकारी मिल पाएगी। इतना ही नहीं नैसर्गिक परिवेश में मैना की गतिविधियों पर भी बेहतरी से नजर रखा जा सकेगा। इस कार्य के लिए विशेष उपकरण की खरीदी करने एक कार्य योजना तैयार कर ली गई है।
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