मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मंगलवार को सभी दोषियों को सजा सुना दी। जिसमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है तो वहीं अन्य आरोपियों की सजा भी तय कर दी गई है। अपनी सजा सुनते ही दरिंदा ब्रजेश ठाकुर रो पड़ा था। लेकिन, अब भी इस मामले में कई एेसे ज्वलनशील सवाल हैं, जो अनुत्तरित रह गए हैं।
बालिका गृह में लड़कियों के साथ दरिदगी की हद पार कर यातना दी जाती थी। लड़कियों ने अपने बयान में कहा था कि उन्हें बाहर भी भेजा जाता था। जांच के दौरान लड़कियों के दिए इन बयानों से कई अफसरों व नेताओं की चर्चाएं भी जोर-शोर से उठी थीं। लड़कियों ने कहा था कि उन्हें मूंछ वाले व तोंद वाले अंकल के पास भेजा जाता था। पुलिस व सीबीआइ ने ऐसे लोगों की तलाश भी की थी। लेकिन, जांच में इसका पर्दाफाश नहीं हो पाया।
लड़कियों के बताए गए हुलिए के आधार पर एेसे अफसरों व नेताओं के नाम अब भी लोग जानना चाहते हैं। उनके जेहन में उठे सवाल अनुत्तरित ही रह गए। इसके अलावा लड़कियों की हत्या के आरोपों को लेकर साक्ष्य जुटाने में भी पुलिस व सीबीआइ विफल रही। इसे लेकर भी सवाल उठते रहे। ये सवाल भी अनुत्तरित ही रह गए।
ब्रजेश ठाकुर को पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने में पुलिस की ओर से क्यों शिथिलता बरती गई? यह कोई समझ ही नहीं पाया। न्यायिक हिरासत में निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद पुलिस की ओर से दाखिल की गई इस अर्जी को न्यायालय ने खारिज कर दिया था।
बता दें कि दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट ने चार फरवरी को सजा पर बहस पूरी कर ली थी और उसके बाद 11 फरवरी सजा की तारीख तय की गई थी। इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ ने की थी और जांच की रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी और दोषियों को अधिकतम सजा की गुहार लगायी थी।