आइआइटी के दो प्रोफेसर को स्टार अवार्ड से नवाजा गया, रोचक खोज करके चर्चा में आए

आइआइटी का नाम यूं नहीं देश-दुनिया में छाया हुआ है, यहां के प्रोफेसरों का शोध और छात्रों के आविष्कार को जगह जगह अपनाया जा रहा है। ऐसे ही एक शोध को खाड़ी देशों में कंपनियां इस्तेमाल कर रही हैं। इसे देखते हुए शोध करने वाले आइआइटी के प्रोफेसर को स्टार अवार्ड से नवाजा गया है। इसी तरह एक अन्य प्रोफेसर को भी उनके शोध के लिए यह अवार्ड मिला है, वह अपनी रोचक खोज से चर्चा में आए हैं।

केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के है प्रोफेसर

आइआइटी कानपुर के दो प्रोफेसरों को साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी) के साइंस एंड टेक्नोलॉजी अवार्ड फॉर रिसर्च (स्टार) का अवार्ड मिला है। उन्होंने शोध कार्य के साथ ही तकनीक विकसित की है, जिसे देश दुनिया में इस्तेमाल किया जा रहा है। दोनों प्रोफेसर केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के हैं। अब दोनों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह की फेलोशिप और 10 लाख रुपये तीन साल तक मिलेंगे। दोनों प्रोफेसरों की कामयाबी पर निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने खुशी जाहिर की है।

शोध के आधार पर खाड़ी देशों में हो रहा काम

प्रो. जयंत कुमार सिंह ने थर्मोडायनेमिक्स और मॉलीकुलर सिमुलेशन की तकनीक पर काम किया है। उन्होंने जमीन के अंदर नेचुरल गैस किस अवस्था में है। उस का दबाव और घनत्व कितना है, उसकी सटीक जानकारी मिलने पर काम किया है। प्रो. सिंह के 2013-14 में हुए शोध के आधार पर कई खाड़ी देश की कंपनियां काम कर रही हैं। देश में डॉक्टर घुटने के अंदर फ्लूड डालने का आकलन कर रहे हैं।

बार-बार लिखो पेपर

ब्लैक बोर्ड या स्लेट पर चॉक से लिखकर डस्टर से रब करना तो क्लास में हम सभी ने देखा और किया है। लेकिन, क्या यह प्रक्रिया कागज पर अपनाई जा सकती है, शायद इसकी कल्पना करना मुश्किल है। लेकिन, आइआइटी के प्रो. अनिग्मांशु घटक ने इसे सच कर दिखाया है। उन्होंने बार-बार लिखो पेपर की खोज की है। इसपर कई बार लिखकर सामान्य गीले कपड़े से पोंछकर मिटाया जा सकता है। कई तरह के एडहैसिव बनाए हैं, जिनकी सहायता से डस्ट को जमीन से साफ कर सकते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए अहम है खोज

बार बार लिखो पेपर की खोज के बाद पर्यावरण संतुलन के लिए पेड़ों को भी बचाया जा सकेगा। कागज का निर्माण लकड़ी से होता है, जिसके प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए जाते हैं। इससे पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचता है। यदि बार बार लिखो पेपर का इस्तेमाल होगा तो जरूरत पूरी होने के बाद छात्र अपनी कॉपी का दोबारा भी इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे एक ही पेपर का कई बार लिखने में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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