सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक सिंडिकेट बैंक ने 2019-20 की तीसरी तिमाही में 5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार के ऐतिहासिक आंकड़े को छू लिया है. मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में बैंक का मुनाफा 435 करोड़ रुपये का रहा जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में ये 108 करोड़ रुपये था.

सिंडिकेट बैंक को ये फायदा एनपीए में कमी आने से हुई है । मूल्य के आधार पर सकल एनपीए 26,184.66 करोड़ रुपये से गिरकर 25,330.10 करोड़ रुपये रह गया.
वहीं, इस दौरान शुद्ध एनपीए भी गिरकर 5.94 फीसदी यानी 12,514.32 करोड़ रुपये पर आ गया. 31 दिसंबर 2018 के अंत में शुद्ध एनपीए 6.75 फीसदी यानी 13,211.17 करोड़ रुपये पर था. हालांकि, दिसंबर 2019 तिमाही के दौरान बैंक का फंसे कर्ज के लिए प्रावधान बढ़कर 1,286.64 करोड़ रुपये हो गया.
एक साल पहले की इसी तिमाही में बैंक ने फंसे कर्ज के लिए 909.82 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. इससे सिंडिकेट बैंक के तमाम अधिकारी से लेकर कर्मचारी काफी खुश हैं.
गौरतलब है कि हाल में केंद्र सरकार ने 10 सरकारी बैंकों के विलय पर हरी झंडी दिखाई थी, जिसके तहत केनरा बैंक के साथ सिंडिकेट बैंक का विलय होगा. विलय के बाद ये देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा.
इस बैंक के पास करीब 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होगा. विलय के बाद सिर्फ 12 सरकारी बैंक रह जाएंगे. लेकिन इस विलय से पहले सिंडिकेट बैंक के पांच लाख करोड़ के ऐतिहासिक कारोबार करने से बैंकों के लिए शुभ संकेत आया है.
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