अयोध्या में बहुप्रतीक्षित भव्य श्रीराममंदिर (Sri Ram Temple) का निर्माण रामनवमी (Rama Navami) या हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) पर शुरू हो सकता है। मंदिर निर्माण से पहले गर्भगृह में विराजमान रामलला (Rama Lala) को शास्त्रीय विधान से अलग कर दूसरी जगह रखा जाएगा। इसके बाद गर्भगृह का शिलान्यास होगा, जिसकी पहली ईंट प्रधानमंत्री (PM) नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) रख सकते हैं।
ये बातें श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बिहार से एकमात्र सदस्य कामेश्वर चौपाल (kameshwar Chaupal) ने सोमवार को दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कही।
नौ नवंबर, 1989 को राम मंदिर के शिलान्यास के समय पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल ने बताया कि उस समय विवादित जमीन के कारण मुख्य मंदिर से करीब 250 फीट दूर सिंह द्वार के पास शिलान्यास हुआ था। अब चूंकि विवाद खत्म हो गया है, तो मंदिर के गर्भगृह के पास शास्त्रीय विधि-विधान से फिर शिलान्यास होगा। सबसे पहले गर्भगृह का निर्माण किया जाएगा, इसके बाद मंदिर के अन्य हिस्सों का निर्माण शुरू होगा।
बाबरी एक्शन कमेटी द्वारा ध्वस्त ढांचे का मलबा मांगे जाने के सवाल पर कामेश्वर चौपाल ने कहा कि कोर्ट में साबित हो चुका है कि वहां प्रभु श्रीराम का मंदिर था। उसे तोड़कर ही मीर बाकी ने उसी मलबे से मस्जिद बनवाई थी। यह राम जन्मभूमि का ही मलबा है। ऐसे में मलबे को वापस करने की बात ही नहीं उठती।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से लेकर विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता पार्टी तक विभिन्न पदों पर रहे कामेश्वर चौपाल ने बताया कि 19 फरवरी को होने वाली ट्रस्ट की पहली बैठक में नई कार्यसमिति, नए सदस्यों, मंदिर के नक्शे से लेकर मंदिर निर्माण की तिथि आदि पर विस्तार से चर्चा होगी।
उन्होंने बताया कि मंदिर के पुराने नक्शे के अलावा नए नक्शे पर भी विचार किया जाएगा। हिंदू पुरातत्व और वास्तुकला के जानकार आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा इसकी डिजाइन पर काम कर रहे हैं। मंदिर का निर्माण राजस्थान के मकराना से आए पत्थरों से किया जाएगा। पिछले 30 सालों से 400 कारसेवक इन पत्थरों को तराशने में लगे हैं। अभी तक 70 फीसद पत्थर तराशे भी जा चुके हैं। उम्मीद है, दो साल में मंदिर का भव्य रूप दिखने लगेगा और गर्भगृह में पूजन शुरू हो जाएगा।
ट्रस्ट के सदस्य न बनाए जाने पर रूठे संतों को लेकर पूछे गए सवाल पर चौपाल ने कहा कि संतों के आशीर्वाद से ही मंदिर निर्माण हो रहा है, आगामी बैठक में संभव है कि सदस्य के रूप में किसी संत का नाम शामिल हो।