माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या और माघी अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या का महत्व बहुत होता है। माघ के महीने में लोग जप, तप और दान करने के लिए पवित्र नदियों के किनारे एकत्रित होते हैं। तीर्थराज प्रयागराज में संगम स्नान को बेहद ही शुभ माना जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 24 जनवरी को है, इसी दिन शनि 30 वर्षों के बाद दोबारा मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं। मौनी अमावस्या पर मौन रख व्रत किया जाता है।सनातन परंपरा में माघ मास को अत्यंत पावन मास माना गया है। इस मास में विधि-विधान से स्नान-ध्यान एवं साधना का विशेष महत्व है। वैसे तो इस पूरे मास में ही स्नान-दान का महत्व है लेकिन अमावस्या के दिन इसका अत्यधिक महत्व है। यही कारण है कि इस तिथि पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु सुख-समृद्धि और मोक्ष की कामना लिए पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं।
मौनी अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में होते हैं। इनके एक साथ होने का संयोग प्रत्येक वर्ष एक ही दिन होता है। इस शुभ संयोग में किसी पवित्र नदी में मौन धारण करते हुए डुबकी लगाने का विशेष धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व होता है। यही कारण है कि तमाम तीर्थो पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु नदी तीर्थ पर पावन डुबकी लगाने के लिए इकट्ठा होते हैं।
फलित ज्योतिष में सूर्य को आत्मा तथा चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है। चूंकि मन चंद्रमा की तरह चंचल होता है और अक्सर साधना-आराधना के दौरान भटक जाता है। ऐसे में मन को नियंत्रित करना आवश्यक हो जाता है। मन पर नियंत्रण पाकर ही किसी साधना को निर्विघ्न रूप से पूर्ण किया जा सकता है। मन की कामनाएं अक्सर वाणी के द्वारा प्रकट की जाती हैं। ऐसे में मन पर नियंत्रण पाने के लिए माघ मास की अमावस्या के दिन मौन रखकर स्नान करने का विधान बना।
मान्यता है कि मन और वाणी पर नियंत्रण पाते हुए इस पावन तिथि पर स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मोक्ष मिलता है। साथ ही इस दिन किए जाने वाले मौन स्नान से शरीर की सकारात्मक ऊर्जा का ह्रास भी नहीं होता है। मौन साधना से मिलने वाला पुण्य अक्षय रहता है। संतों के अनुसार मौन व्रत के बगैर मौनी अमावस्या पर स्नान करने से श्रद्धालुओं को पूरा पुण्य नहीं मिलता है।
मौनी अमावस्या पूजा विधि
यदि आप किसी कारण किसी नदी तीर्थ पर जाकर इस पावन तिथि वाले दिन स्नान-ध्यान एवं पूजन करने में असमर्थ हैं तो आप अपने घर में ही इसका पुण्य लाभ पा सकते हैं। मौनी अमावस्या के दिन मां गंगा का ध्यान करते हुए अपने जल के स्नान में गंगाजल और तिल डाल कर मौन रखते हुए स्नान करें और स्नान-ध्यान के पश्चात किसी मंदिर में जाकर अपनी क्षमता के अनुसार दान करें।
मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व
कड़ाके की ठंड में धार्मिक नियमों का पालन करते हुए साधना-आराधना का आध्यात्मिक महत्व भी है। विदित हो कि प्रयागराज कुंभ के अधिकांश स्नान पर्व भीषण ठंड में पड़ते हैं। हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के मौसम में ये स्नान पर्व हमारे अंदर अदम्य जिजीविषा एवं संकल्प शक्ति का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार मौनी अमावस्या पर मौन स्नान का भी अपना महत्व है। मौन रहते हुए अमृत रूपी जल का यह स्नान हमें जीवन की विषमताओं से न घबराने और चुनौतियों का दृढ़ता के साथ सामना करते हुए अपनी साधना-मनोकामना पूर्ण करने का संदेश देता है।