ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से तबाह हुए जंगल को वापस उसी रूप में आने में लगभग 100 साल का समय लग जाएगा। जंगल में महीनों से लगी आग पर अब काबू पाया जा सका है। इसमें बरसात का भी योगदान रहा। प्रशासन इसे अपने स्तर से नहीं बुझा पाया। इस आग ने यहां के जंगल में लगभग एक अरब जीव जंतु नष्ट कर दिए हैं। कई तो लुप्तप्राय जानवर आग की भेंट चढ़ गए हैं। अब उनका अस्तित्व ही खत्म हो गया है।
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग ने कई करोड़ रुपये की संपत्ति भी स्वाहा कर दी है। आग से 28 लोगों की मौत हो चुकी है। ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में बनाए गए सैकड़ों आलीशान मकान जलकर राख हो चुके हैं। ये आग इतनी बड़ी थी कि नासा से भी इसकी तस्वीर ली गई। आग लगने के बाद निकलने वाला धुएं की तस्वीरें सेटेलाइट से भी ली गई। जब आग चरम पर थी तो इसने पूरे ऑस्ट्रेलिया के वातावरण को ही लाल कर दिया था। आग से इतना अधिक नुकसान हुआ निकला था कि यहां का पूरा आसमान ही लाल हो गया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि आग से उबरने के लिए AUSTRALIA को एक सदी लग जाएगी। देश भर में सैकड़ों आगजनी हुई है, जिसमें कम से कम 28 लोग मारे गए। 2,000 से अधिक घरों को नष्ट करने और जानवरों के स्कोर को मार डाला गया। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नए साल के दिन के आसपास आग से धुआं दक्षिण अमेरिका में पहले ही देखा जा चुका है, ये आग इतनी बड़ी थी कि इसने आसमान को “धुंधला” कर दिया। इसने कहा कि न्यूजीलैंड में आसमान ने “नाटकीय रूप से रंग बदल दिया”, जिससे “गंभीर वायु गुणवत्ता के मुद्दे” पैदा हुए। बीबीसी के अनुसार, 8 जनवरी तक इस जंगल में लगी आग का धुआं दुनिया भर में आधा चला गया था।
ऑस्ट्रेलिया फायर प्रमुख मिक क्लार्क का कहना है कि जिस तरह से आग लगने की घटना हुई है उससे लगता है कि इस पूरे इलाके को हरा भरा बनाने में अब कम से कम 100 साल का समय लग जाएगा। यदि इस इलाके में मौजूद पहले और बाद की तस्वीरों को देखा जाए तो आग से कितनी तबाही हुई है इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जिन जगहों पर सड़क के दोनों ओर हरियाली होती थी वो अब गायब है। पूरा इलाका ही साफ हो चुका है। हरियाली गायब है और वहां राख ही दिख रही है।
नासा के एक प्रवक्ता ने बताया कि आग इतनी बड़ी थी कि वे पायरोकुमुलोनिम्बस घटनाओं की एक “असामान्य रूप से बड़ी” संख्या में फैल गए थे। नासा ने कहा कि यदि किसी जगह पर एक बार बड़ी आग लग जाती है तो उसका धुआं काफी दूर तक चला जाता है। यह विश्व स्तर पर वायुमंडल की परिस्थितियों को प्रभावित करता है। आग से खतरनाक वायु की गुणवत्ता और भी खराब हो जाती है।
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में 100 से अधिक जगहों पर आग लगी थी। लेकिन हाल के दिनों में हुई बरसात और अग्निशमन विभाग के प्रयासों के बाद अब इस पर काबू मिल पाया है। बताया जाता है कि इस जंगल की आग ने ऑस्ट्रेलिया की कोआला की एक तिहाई आबादी को मार डाला है। ऑस्ट्रेलिया में कोआला की संख्या पहले से कम थी अब आग लगने की वजह से इनकी संख्या खत्म हो गई है। अब 20 मिलियन एकड़ से अधिक भूमि आग के हवाले हो चुकी है। इतनी जमीन में लगी आग ने सभी चीजों को जलाकर राख कर दिया है।
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में तीन प्रजातियां लुप्तप्राय हो चुकी हैं। इनमें दक्षिणी मेंढक, रीजेंट हनीटर पक्षी और पश्चिमी जमीन तोता शामिल है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ऑस्ट्रेलिया ने उन 13 जानवरों ने सरकार को सलाह दी है जिनके आवास या तो नष्ट हो गए हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जोखिम वाले अन्य जानवरों में दक्षिण-पूर्व में कोआला आबादी, कंगारू द्वीप डुनर्ट, चमकदार काले कॉकटू, लंबे पैर वाले पोटरू, पश्चिमी जमीन तोता, ब्लू माउंटेन वॉटर स्किंक, पूर्वी ब्रिसल्टर्ड और ब्रश पूंछ वाली रॉक वालबाई शामिल हैं।
आग से 15 मिलियन हेक्टेयर का क्षेत्र जल चुका है जिसको फिर से सहेजने के लिए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने 50 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई (34.5 मिलियन डॉलर) डॉलर खर्च करने की घोषणा की है। आग से बचाव के लिए दुनिया की सबसे बड़ी फायर सर्विस (74 हजार) काम कर रही है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया में स्तनधारियों के विलुप्त होने की दर बढ़ गई है। आलम यह है कि ऑस्ट्रेलिया में ऊंचे पेड़ों पर रहने वाले खूबसूरत जीव कोआला को विलुप्तप्राय प्रजाति घोषित किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने बुश फायर रिकवरी फंड में दो सौ करोड़ ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (लगभग एक हजार करोड़ रुपये) देने की घोषणा की है। इस फंड से आग के चलते नष्ट हुए मकानों और बुनियादी ढांचों का अगले दो वर्षो में फिर से निर्माण किया जाएगा। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस आयुक्त एंड्रयू कोल्विन के नेतृत्व में इस फंड से काम कराए जाएंगे। मौरिसन ने कहा कि दो सौ करोड़ डॉलर की यह राशि पूर्व में स्वीकृत राशि से अलग होगी। यह शुरुआती राशि है, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है।