यूनिटेक लिमिटेड के प्रोजेक्टों में फंसे 12000 फ्लैट खरीदारों के लिए खुशखबरी का पल आने वाला है। केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने वर्ष 2017 के प्रस्ताव पर अमल करने की हामी भरी है, जिसके तहत वह कंपनी का अधिग्रहण करते हुए सभी प्रोजेक्ट पूरे कराएगी। इसके लिए सरकार ने मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन समेत छह निदेशकों के प्रस्तावित नाम भी सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिए हैं।
पिछले साल 18 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से अपने 2017 के प्रस्ताव पर दोबारा विचार करने के लिए कहा था। इसके तहत ही केंद्र सरकार की तरफ से जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने छह पेज का एक प्रस्ताव दाखिल किया गया है। इसमें कहा गया है कि वह अपने दिसंबर, 2017 के प्रस्ताव के तहत यूनिटेक लिमिटेड के वर्तमान बोर्ड को भंग कर अपने 10 नामित निदेशक नियुक्त करने को तैयार है।
हालांकि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से साफ-साफ यह भी कहा है कि वह कंपनी में पैसा नहीं लगाएगी, बल्कि प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए अन्य विकल्पों पर काम किया जाएगा। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से 12 महीने का समय मांगा है।
बता दें कि 2017 में केंद्र सरकार ने कंपनी के अधिग्रहण का प्रस्ताव रखा था। एनसीएलटी ने 8 दिसंबर, 2017 को इसके लिए अंतरिम आदेश भी जारी कर दिए थे, लेकिन शीर्ष अदालत ने 13 दिसंबर, 2017 को इस आदेश को स्थगित करते हुए केंद्र सरकार को रोक दिया था।
2018 में शीर्ष अदालत ने कंपनी का फोरेंसिक ऑडिट कराया था, जिसमें प्रमोटरों द्वारा फ्लैट खरीदारों के हजारों करोड़ रुपये अवैध तरीके से दूसरी जगह निवेश कर देने के कारण कंपनी के संकट में फंसने की पुष्टि की गई थी। शीर्ष अदालत के निर्देश पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में मनी लान्ड्रिंग के दोषी पाए गए कंपनी के प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा फिलहाल पीएमएलए के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सरकार ने चेयरमैन व प्रबंध निदेशक के तौर पर हरियाणा कैडर के पूर्व आईएएस अफसर युद्धवीर सिंह मलिक, जबकि सदस्य निदेशकों के तौर पर एके मित्तल (एनबीसीसी के पूर्व सीएमडी), रेणु सूद कर्नाड (चेयरमैन, एचडीएफसी क्रेडिला फाइनेंस सर्विस प्राइवेट लिमिटेड), जीतू वीरवानी (सीएमडी, एंबेसी ग्रुप) और निरंजन हीरानंदानी (एमडी, हीरानंदानी ग्रुप) का नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है। साथ ही बोर्ड निदेशकों की तरफ से तैयार रेजोल्यूशन फ्रेमवर्क की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज को नियुक्त करने की मांग की गई है।
- कंपनी की संपत्ति बेचने को नियुक्त जस्टिस एसएन धींगड़ा कमेटी को स्थगित किया जाए
- नामित निदेशकों को कंपनी के खिलाफ देशभर में लंबित मुकदमों से अलग रखा जाए
- निदेशकों को फ्लैट खरीदारों से बकाया लेने, अनबिके मकानों को बेचने की छूट दी जाए
जनहित में केंद्र सरकार ने दूसरी बार किसी निजी कंपनी के अधिग्रहण का फैसला किया है। इससे पहले 2009 में सरकार ने सत्यम इंफोटेक का अधिग्रहण किया था, जिसे बाद में महिंद्रा आईटी ने ले लिया था।
250 कंपनियां हैं यूनिटेक ग्रुप की देश-विदेश में
- 29800 फ्लैट खरीदारों ने कंपनी को दिया पैसा
- 14,270 करोड़ रुपये जुटाए गए इन खरीदारों से
- 1805 करोड़ का कर्ज 6 वित्तीय संस्थानों से लिया
- 74 हाउसिंग प्रोजेक्ट कर दिए गए एक साथ चालू
- 5763 करोड़ रुपये का उपयोग ही नहीं किया गया