कारोबारी नुस्ली वाडिया ने दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के खिलाफ 3000 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस.
अरविंद बोबडे ने यह सलाह दी थी कि दोनों देश के प्रख्यात लोग हैं और उन्हें मुकदमेबाजी से बचते हुए ऐसे छोटे-मोटे मामले आपस में मिल-बैठकर सुलझा लेना चाहिए.
इसके पहले 6 जनवरी को सुनवाई के दौरान रतन टाटा और नुस्ली वाडिया मानहानि मामले में CJI जस्टिस एस. अरविंद बोबडे ने कहा था कि दोनों इंडस्ट्री के दिग्गज लीडर हैं और उन्हें इस मसले को बातचीत कर सुलझा लेना चाहिए. इस केस में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को फिर सुनवाई हुई.
नुस्ली वाडिया ने स्वतंत्र निदेशक के पद से हटाए जाने के बाद रतन टाटा के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज कराया था. वाडिया टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के बोर्ड्स में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर थे. 2016 में नुस्ली वाडिया ने रतन टाटा और अन्य के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज कराया था.
वाडिया ने इस मामले में 3,000 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा था. जुलाई 2019 ने बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक अवमानना को रदद् कर दिया था. बॉम्बे हाइकोर्ट के फैसले को नुस्ली वाडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.