वायु प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज हमारे शरीर को किस तरह प्रभावित करता है, इसके बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसका असर मानसिक तौर पर भी पड़ता है. हाल ही में हुई एक स्टडी में इसका खुलासा हुआ है.

अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर द्वारा किए एक शोध में इस बात की जानकारी मिलती है. स्टडी के अनुसार क्लाइमेट में बढ़ता कार्बन डाईऑक्साइड हमारी सोचने-समझने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर रहा है. हमारी कई तरह की गतिविधियों की वजह से इस हानिकारक गैस का स्तर बढ़ता ही जा रहा है.
स्टडी मे कहा गया है कि कार्बन डाईऑक्साइड के असर से व्यक्ति को किसी भी चीज पर फोकस करने में परेशानी होती है. बाहर के मुकाबले घर के अंदर ये हानिकारक गैस ज्यादा पाई जाती है. जिस जगह जितने ज्यादा लोग होते हैं, वहां उतनी ही ज्यादा कार्बन डाईऑक्साइड पाई जाती है.
स्टडी में कहा गया है कि हम खुद कार्बन डाईऑक्साइड पैदा करने वाली मशीन हैं. वैज्ञानिकों ने ये भी दावा किया है कि खतरनाक गैसें इसी तरह बढ़ती रहीं तो इस सदी के आखिर तक सही फैसले लेने की हमारी क्षमता लगभग आधी हो जाएगी.
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