अच्छी टीमें दबदबे के साथ वापसी दर्ज कराती हैं और भारतीय टीम ने विशाखापत्तनम में ठीक ऐसा ही किया। टीम इंडिया ने बल्ले से निर्दयता के साथ प्रदर्शन किया तो गेंदबाजी और फील्डिंग विभाग भी अपनी भूमिका निभाने में सफल साबित हुआ। ये बेहतरीन प्रदर्शन था, जिसकी हर कोई उम्मीद कर रहा था।इसका ये भी मतलब हुआ कि अब निर्णायक मुकाबले में भारतीय टीम एक बार फिर दावेदार के तौर पर मैदान में उतरेगी।
रोहित शर्मा और केएल राहुल के बीच हुई दोहरी शतकीय साझेदारी देखना मजेदार रहा। उम्मीद है कि ये जोड़ी सीमित ओवर प्रारूप के सभी मैचों में बनी रहे। दोनों खिलाड़ी एक-दूसरे को पूरा करते हैं और दोनों ही उच्च स्तर का क्रिकेट खेलते हैं। यही वजह है कि इनके खिलाफ गेंदबाजी करना कभी भी आसान काम नहीं होता।
अगर आप रोहित शर्मा और केएल राहुल के स्कोरिंग क्षेत्रों को देखें तो समझ पाएंगे कि दोनों खिलाड़ियों के शॉट्स की रेंज कितनी अलग और कितनी विशाल है। जहां रोहित शर्मा पुल शॉट बढि़या तरीके से खेलते हैं तो वहीं स्पिनरों के खिलाफ उनके सिर के ऊपर से शॉट खेलने को प्राथमिकता देते हैं। दूसरी ओर, राहुल कट और फ्लिक अच्छा करते हैं।
एक पूर्व ओपनर होने के नाते मैं इन दोनों खिलाड़ियों को लंबे समय तक साथ खेलते हुए देखना चाहता हूं। राहुल प्रतिभाशाली बल्लेबाज हैं, लेकिन कई बार असमंजस में पड़ जाते हैं कि तीनों प्रारूपों में किस तरह खेलें। टीम की भलाई के लिए उन्हें ये बात बताई जानी चाहिए कि थोड़े समय के लिए वह टेस्ट का मोह छोड़कर सीमित ओवर प्रारूप पर ध्यान केंद्रित करें। उन्हें पर्याप्त मौके दिए जाने चाहिए ताकि वह मैदान पर उतरकर अपना स्वाभाविक खेल दिखा सकें।
कटक में भारतीय गेंदबाजों का भी टेस्ट होगा। ऐसे में एक बार फिर भार बल्लेबाजों पर ही होगा। पहले या बाद में बल्लेबाजी से अधिक अंतर नहीं पड़ना चाहिए। जो भी टीम बढि़या बल्लेबाजी करेगी, सीरीज उसी के नाम होगी। दूसरी तरफ ये भारतीय स्पिनरों के लिए भी किसी परीक्षा से कम नहीं है। विजयी टीम से छेड़छाड़ करना कभी भी आसान नहीं होता, लेकिन अगर केदार जाधव की जगह युजवेंद्रा सिंह चहल को शामिल किया जाता है तो ये खराब विचार नहीं है।
खासतौर पर जब तब छठे नंबर पर जाधव को बल्लेबाजी के लिए अधिक मौके नहीं मिलते हैं। चहल और कुलदीप यादव की जोड़ी वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों से मुश्किल सवाल पूछ सकती है। ये एक और रोमांचक मैच होना चाहिए, जिसमें जीत दर्ज कर टीम इंडिया अपने घरेलू रिकॉर्ड को कायम रख सके। बेशक विराट कोहली सीरीज के शुरुआती दो मैचों में विफल रहे हों, लेकिन ये उस खिलाड़ी के लिए प्रेरणा की बात होनी चाहिए जो अपने प्रदर्शन पर बेहद गर्व करता है।