इस हफ्ते चीन के विदेश मंत्री और सलाहकार वांग यी भारत दौरे पर आएंगे। वह राष्ट्रीय सलाहकार अजीत डोभाल के साथ सीमा वार्ता करेंगे। चर्चा एक ऐसे प्रावधान के तहत आयोजित की जाएगी जिसमें मतदान की आवश्यकता नहीं होगी लेकिन मुद्दे को चिह्नित करना शामिल होगा। संभावना है कि यूएनएससी में भारत अन्य सदस्यों को अपनी स्थिति के बारे में बताएगा जो इसपर चर्चा की आवश्यकता होने या न होने पर फैसला लेंगे। सूत्रों के अनुसार, भारत पहले ही साझेदारों और सहयोगियों के साथ एक गहन कूटनीतिक बातचीत कर चुका है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार चीन के यूएनएससी में कश्मीर मुद्दा उठाने का अनुरोध पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा इसकी अध्यक्ष अमेरिका की राजदूत कैली क्राफ्ट को पत्र लिखने के बाद किया गया है। कुरैशी ने पत्र में आरोप लगाया है कि भारत पाकिस्तान को विभाजित करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि भारत ने नियंत्रण रेखा के पांच सेक्टरों से आंशिक तौर पर फेंस को हटा दिया है। कुरैशी का कहना है कि भारत एक झूठा ऑपरेशन चला सकता है।
उन्होंने यूएनएससी को भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह को मजबूत करने का सुझाव दिया है जो नियंत्रण रेखा की निगरानी करता है। भारत अमेरिका की राजदूत जो यूएनएससी की अध्यक्ष भी हैं, उससे बात करेगा। माना जा रहा है कि फ्रांस भारत की तरफ है। 16 अगस्त को हुई चर्चा के दौरान ब्रिटेन ने भारत का साथ देने में आनाकानी की थी लेकिन अब बोरिस जॉनसन को अच्छा खासा बहुमत मिला है तो भारत को उम्मीद है कि वह उसका समर्थन करेगा।
गैर-स्थायी सदस्य के रूप में जर्मनी और पोलैंड भी भारत का समर्थन करेंगे। हालांकि सरकार के नागरिकता कानून में संशोधन करने और इसे लेकर देशभर में जारी हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय तौर पर भारत की छवि को खराब किया है। चीन ने भारत के कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के फैसले का विरोध किया था। चीन ने दोबारा यूएनएससी में कश्मीर के मुद्दे को उठाया है जो दोनों देशों के बीच तनाव पैदा कर सकता है।