बाराबंकी । प्रदेश में एनीमिया (खून में हीमोग्लोबिन की कमी) एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है, जो कि विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। खासकर बच्चे और महिलाएँ इस समस्या की शिकार हैं। इसीलिए एनीमिया के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए चार माह तक वृहद स्तर पर आईईसी (जानकारी, शिक्षा और संचार) अभियान चलाया जाएगा, जिसमें गर्भ से लेकर 19 वर्ष तक के किशोर – किशोरियों के एनीमिया से बचाव के लिए विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी।
अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. महेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि इस अभियान में मुख्य रूप से शून्य से 19 वर्ष तक के बच्चे और गर्भवती व धात्री माताओं को शामिल किया जाएगा। पोषक तत्वों की कमी के कारण शरीर में खून की कमी हो जाती है जिसकी वजह से शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है और प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है। किशोरियों में एनीमिया आगे जाकर गर्भावस्था को भी प्रभावित करता है। इस कमी को दूर करने के लिए अभियान के दौरान दो चरणों में जागरुकता की जाएगी। एक तरफ स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यक्रम कर जागरुकता फैलाई जाएगी वहीं दूसरी तरफ गर्भवती और स्तनपान करा रही महिलाओं के लिए कैंप आयोजित किए जाएंगे। स्कूलों में हर सोमवार को बच्चों को आयरन की गुलाबी या नीली गोली शिक्षकों की निगरानी में दी जाएगी। जबकि हर शनिवार ‘बिना बस्ता दिवस’ पर बच्चों को विभिन्न गतिविधियों जैसे लेखन, क्विज, लघु नाटिका, पोस्टर प्रतियोगिता आदि के माध्यम से एनीमिया के बारे में जागरुक किया जाएगा।
कई विभाग मिलकर करेंगे कार्य
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, बेसिक शिक्षा , माध्यमिक शिक्षा, पंचायती राज विभाग, बाल विकास एवं पुष्टहार विभाग समेंत कई अन्य विभाग शामिल है।
एनीमिया से सम्बंधित आंकड़े
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे- 4 2015 -2016 अनुसार नजर डालें तो बाराबंकी में 15 से 49 वर्ष की किशोरियां एवं महिलाओं में एनीमिया का प्रतिशत ग्रामीण स्तर पर 37.3 तथा कुल 38.2 प्रतिशत है। साथ ही 6 से 59 माह के लगभग 43.9 प्रतिशत बच्चे और 15 से 49 वर्ष के लगभग 16.5 प्रतिशत पुरुष खून की कमी से जूझ रहे हैं। इससे निबटना एक बड़ी जिम्मेदारी है।