भगवान विष्णु तीन देवों में से एक हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार जहां ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। वहीं शंकर जी को इस सृष्टि का संहारक माना गया।

जबकि भगवान विष्णु इस जगत के पालनहार हैं। विष्णु जी की अर्धांग्नि माता लक्ष्मी हैं। वे क्षीर सागर में वासुकि नाग की कुंडली में विराजते हैं।
विष्णु पुराण के अनुसार, क्षीर सागर में वासुकि नाग पर विराजमान भगवान विष्णु जी की चार भुजाएं। उनके एक हाथ में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र, तीसरे में गदा और चौथी भुजा में पद्म है। भगवान विष्णु जी ने अपनी भुजाओं में जो भी चीजें धारण की हैं उनका अपना महत्व है,
सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु जी का शस्त्र है। इसे उनका अमोघ अस्त्र भी कहते हैं। सुदर्शन चक्र इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति को लक्ष्योन्मुख होना चाहिए। उसे दृढ़-निश्चय रहते हुए अपने लक्ष्य को भेदने की शक्ति होनी चाहिए। यह दूरदर्शिता का भी प्रतीक है।
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