मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद मॉब लिंचिंग की घटनाओं में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस कारण केंद्र सरकार विपक्ष समेत तमाम समाज के बुद्धिजीवी तबकों के निशाने पर आ गई। इसके खिलाफ देश के 50 बड़ी हस्तियों ने पीएम मोदी को एक खुला खत लिखा। अब इनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर लिया गया है।
इसमे फिल्म निर्देशक मणिरत्नम, अपर्णा सेन, श्याम बेनेगल और शुभा मुद्गल सहित 49 लोग शामिल हैं। इन लोगों ने पीएम मोदी को एक खुला पत्र लिखकर देश में बढ़ रही उन्मादी हिंसा की घटनाओं के प्रति अपनी चिंता जाहिर की थी। यद्दपि इस मुद्दे पर सरकार के तरफ से बयान भी आ गया है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार की ओर से ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया है। सरकार का कहना है कि हमने अपनी ओर से उन 49 लोगों के खिलाफ कोई एफआइआर दर्ज नहीं कराई है, जिन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ ये खुला पत्र लिखा है।
स्थानीय वकील सुधीर कुमार ओझा की याचिका पर दो माह पहले मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी द्वारा एक आदेश पारित किए जाने के बाद गुरुवार को केस दर्ज किया गया था। सीजेएम अदालत ने 20 अक्टूबर को इसको लेकर आदेश पारित किया था। सुधीर कुमार ओझा जिस पर आज सदर पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसकी प्राप्ति पर मेरी याचिका स्वीकार की गई।
ओझा ने बताया कि इस खत के सिग्नेचर में उनकी याचिका में आरोपी के रूप में नामित किया गया था, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर देश की छवि को खराब किया और पीएम के प्रभावशाली प्रदर्शन को कम करने की कोशिश की।
इसके अलावा अलगाववादी प्रवृतियों का समर्थन किया। पुलिस ने कहा है कि आईपीसी की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें राजद्रोह, सार्वजनिक उपद्रव से संबंधित, धार्मिक भावनाओं को आहत करने और शांति भंग करने के इरादे से अपमान करने जैसे आरोप शामिल हैं।