प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चे वालों को नैनीताल हाईकोर्ट ने फिलहाल राहत दे दी है। अदालत ने कहा है कि 25 जुलाई 2019 के बाद दो से अधिक बच्चे होने पर नया प्राविधान लागू होगा। अदालत ने शिक्षा सहित अन्य मानकों को सही माना है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की संयुक्त खंडपीठ गुरुवार को इस मामले में दायर याचिकाओं में फैसला सुनाया। अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद गत 3 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश में उत्तराखंड पंचायती राज( संशोधन) अधिनियम 2019 लागू किया गया था।
पंचायती राज के लिए 2016 में बने अधिनियम में संशोधन के बाद लागू हुए नए नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पिंकी देवी, जोत सिंह बिष्ट, मनोहर लाल आर्य, एस रहमान, मोहन प्रसाद काला, कविंद्र ईष्टवाल व राधा कैलाश भट्ट आदि ने संशोधित अधिनियम के सेक्सन 8(1) आर को चुनौती दी थी। कहा था कि सरकार ने दो बच्चों की सीमा लागू कर दी है।
कोई भी अधिनियम अथवा प्राविधान उसके लागू किए जाने की तिथि से प्रभावी होता है। सरकार का यह कदम मुख्य तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। संयुक्त पीठ ने अपने 43 पेज के फैसले में सभी बिंदुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला है। इसमें मुस्लिम पर्सन लॉ की बात भी सामने आई है।
इसके तहत मुश्लिम धर्म मानने वाल एक से अधिक शादी कर सकते हैं और उनके स्वाभाविक तौर पर अधिक बच्चे भी हो सकते हैं। इन सभी बिंदुओं पर विचार के बाद अदालत ने केवल दो बच्चों से अधिक मामले में स्पष्ट फैसला दिया है। इसमें कहा है कि कि 25 जुलाई 2019 के बाद दो बच्चे पैदा होने की दशा में यह नियम लागू होगा।
इसके पहले के तीन या इससे अधिक बच्चे वाले नागरिक पंचायत चुनाव में भागीदारी कर सकेंगे। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए 20 सितंबर से होने वाले नामांकन में तीन व इससे अधिक बच्चे वाले नागरिक दावेदारी कर सकेंगे।