देहरादून में बोर्डिंग स्कूल सामूहिक दुष्कर्म प्रकरण में पिछले दिनों आए किशोर न्याय बोर्ड के फैसले के विरुद्ध अभियोजन ने सेशन कोर्ट में अपील की है। बोर्ड ने प्रकरण में तीनों बाल अपचारियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। बोर्ड का मानना था कि अभियोजन के नौ गवाहों के बयान पुलिस की कहानी से मेल नहीं खा रहे हैं। ऐसे में उन्हें तीन जून 2019 को बाल सुधार गृह हरिद्वार से मुक्त कर दिया गया था।
किशोर न्याय बोर्ड में अभियोजन की ओर से मुकदमे की विवेचना अधिकारी और बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष समेत कुल नौ गवाह पेश किए थे। बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा की गोपनीय रिपोर्ट भी अभियोजन के आरोपों को बल नहीं दे सकी। रिपोर्ट में कहीं भी दुष्कर्म का जिक्र नहीं था। इसमें केवल छेड़छाड़ की बात लिखी गई थी। ऐसे में यह बात सिद्ध नहीं हो सकी कि 14 अगस्त को छात्रा से दुष्कर्म हुआ था।
न्यायालय में इन सभी गवाहों ने अपने अपने तथ्यों के आधार पर बोर्ड के समक्ष अपने बयान दर्ज कराए। अभियोजन के किसी भी गवाह के बयान घटनाक्रम से मेल नहीं खा सके। लिहाजा, यशदीप राउते की अध्यक्षता वाले बोर्ड ने तीन जून को तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक अब सेशन कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी गई है।
यह था मामला
बीते साल 16 सितंबर को भाऊवाला स्थित बोर्डिंग स्कूल में एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था। घटनाक्रम 14 अगस्त 2018 का बताया गया। दुष्कर्म का आरोप स्कूल के ही तीन नाबालिग और एक बालिग छात्र पर था।
इस मामले में पुलिस ने 16 सितंबर 2018 की शाम को ही तीनों नाबलिगों को पकड़ लिया और चौथे की गिरफ्तारी कर ली थी। इस प्रकरण में प्रिंसिपल समेत प्रबंधन के भी कुल चार आरोपी बनाए गए थे। इनमें से तीन बाल अपचारियों का मुकदमा किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा था और बाकी का विशेष पॉक्सो कोर्ट में चल रहा है।
एसओ और पीड़िता की बहन को नहीं बनाया था गवाह
किशोर न्याय बोर्ड में चल रहे इस मामले में तत्कालीन एसओ सहसपुर नरेश राठौर को गवाह नहीं बनाया गया था। जबकि, एसओ ने ही 16 सितंबर को अपनी मौजूदगी में सभी तरह की कार्रवाई को अंजाम दिया था। यही नहीं न पीड़िता की बहन और न ही उसकी सहेली को अभियोजन ने गवाह बनाया।