जीएसटी में ई-इनवॉयसिंग (ई-बिल) यानी ऑनालइन बिल जारी करने की व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है। शुरुआती दौर में छोटी कंपनियों को इसमें छूट दी जा सकती है।
पहले चरण में जो पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा उसमें छोटी कंपनियों, वित्तीय प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनियों और ब्रोकरेज हाउसेज को छूट दी जा सकती है। देश भर में इसे एक साथ अगले साल जनवरी से लागू किए जाने की योजना है।
नई व्यवस्था के लिए तकनीकी तैयारी में और समय लगने की वजह से यह फैसला लिया जा सकता है। इससे अक्तूबर-नवंबर से शुरू होने वाले पायलट प्रोजेक्ट में रोजाना ज्यादा संख्या में इनवॉयस जारी करने वाले कंपनियों को राहत देने पर विचार किया जा रहा है। किन कंपनियों को इस छूट के दायरे में रखा जाएगा, यह उनके टर्नओवर के आधार पर तय होगा।
प्रस्ताव के मुताबिक, 10-15 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों को फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया जाएगा। 20 सितंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग सकती है। जीएसटी काउंसिल ने ई-इनवॉयसिंग व्यवस्था को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है। जीएसटी परिषद वाहनों पर जीएसटी घटाने पर भी विचार कर सकती है।
ईमानदार करदाताओं की राह आसान
ई-इनवायसिंग के पीछे केंद्र की मंशा है कि ईमानदार करदाताओं के लिए व्यवस्था में काम करना आसान बनाना है। साथ ही बेईमान कारोबारियों के खिलाफ डेटा एनालिटिक्ट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नकेल भी कसने का इरादा है।
जीएसटी चोरी रोकने में मददगार होगा कदम
वित्त वर्ष 2018-19 में फर्जी इनवॉयस बनाकर 11 हजार करोड़ से ज्यादा की जीएसटी चोरी की गई है। इस दौरान 1620 मामले पकड़े गए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में भी ऐसे जीएसटी इंटेलीजेंस बड़े पैमाने पर ऐसे मामलों को पकड़ रहे है। ऐसे में इलेक्ट्रानिक इनवॉयसिंग जरूरी हो गई है।
10-15 करोड़ तक टर्नओवर पर राहत संभव
11 हजार करोड़ की जीएसटी चोरी पकड़ी गई
क्या है ई इनवॉयसिंग
ई-इनवॉयसिंग से कारोबारी जैसे अपने सिस्टम से माल बेचेगा और खरीदार पुष्टि करेगा तो तुरंत एक यूनिक नंबर बनेगा। इसी नंबर पर ई-वे बिल भी बनेगा और बिक्री का रिकॉर्ड भी कारोबारी की जीएसटी रिटर्न के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाएगा। हर महीने के आखिर में इसी रिकॉर्ड के आधार पर पहले से तैयार जीएसटी रिटर्न भी मिल जाया करेगा।