वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा करते वक्त तस्करों व शिकारियों से मुठभेड़, जंगलों की आग अथवा वन्यजीवों के हमले में जान गंवाने वाले वनकर्मियों के परिजनों को पुलिस के समान सहायता राशि व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। इसके लिए अब नीति बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इस सिलसिले में शासन ने वन मुख्यालय को जल्द से जल्द प्रस्ताव उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। शासन की मंजूरी के बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा। बता दें कि शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों को 15 लाख की आर्थिक सहायता और सेवा की तिथि तक पूरी तनख्वाह और इसके बाद पेंशन देने का प्रावधान है। पुलिस के समान वनकर्मियों को सम्मान देने के मद्देनजर वन महकमा प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है। 
71.05 फीसद वन भूभाग और विषम भूगोल वाले उत्तराखंड में जंगलों और वन्यजीवों की सुरक्षा का जिम्मा संभाले वनकर्मियों को बदली परिस्थितियों में नई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। आधुनिक हथियारों से लैस शिकारियों व तस्करों से उनका सामना हो रहा तो वन्यजीव के हमले भी झेलने पड़ रहे हैं। यही नहीं, फायर सीजन में जंगलों की आग पर काबू करने के दौरान उन्हें जान की बाजी लगानी पड़ रही है।
हालांकि, पुलिस के समान ही जोखिमपूर्ण कार्य करने के मद्देनजर वनकर्मियों के लिए पुलिस के समान मानक रखने की मांग उठती रही, मगर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। पूर्व में इसकी नियमावली तैयार करने का मसौदा शासन को भेजा गया था, मगर यह फाइलों में अटक गया। इस बीच 22 जून को तराई केंद्रीय प्रभाग की बरहैनी रेंज में तस्करों से मुठभेड़ में बीट वाचर बहादुर सिंह चौहान की मृत्यु पर उसके परिजनों को 15 लाख की अनुग्रह राशि का प्रस्ताव वन मुख्यालय ने शासन को भेजा।
शासन ने नियमावली खंगाली तो बात सामने आई कि इसमें ऐसा प्रावधान नहीं है कि ड्यूटी के दौरान किसी वनकर्मी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पुलिस की भांति आर्थिक सहायता या दूसरी सुविधाएं दी जाएं। इसे देखते हुए शासन न अब नीति बनाने की कवायद शुरू की। इस सिलसिले में अपर सचिव वन सुभाष चंद्र की ओर से वन मुख्यालय को पत्र जारी कर जल्द प्रस्ताव उपलब्ध कराने को कहा गया है।
सूत्रों ने बताया कि वन महकमा यह प्रस्ताव तैयार करने में जुट गया है। इसके तहत दैनिक श्रमिकों सहित वनकर्मियों को पुलिस की भांति अपने विशेष जोखिमपूर्ण दायित्वों के निर्वह्न में वीरगति प्राप्त होने पर उनके परिजनों को 15 लाख की अनुग्रह राशि देने का आग्रह किया जा रहा है। साथ ही पुलिस की भांति अन्य सुविधाएं और घायल वनकर्मियों के लिए भी आर्थिक सहायता व उपचार का प्रावधान करने की पैरवी की जा रही है।
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