कारों के साथ दोपहिया वाहन भी मंदी का शिकार बनते जा रहे हैं। जुलाई में अधिकांश कंपनियों के दोपहिया वाहनों की बिक्री में दहाई अंक की गिरावट दर्ज की गई है। इनमें हीरो मोटोकॉर्प, होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर जैसी दिग्गज कंपनियां भी शामिल हैं।
देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी हीरो मोटोकॉर्प की बिक्री में 21.18 फीसद की कमी हुई है। पिछले साल जुलाई में कंपनी ने 6,79,862 दोपहिया वाहनों की बिक्री की थी। लेकिन इस वर्ष जुलाई में बिक्री घटकर 5,35,810 इकाई रह गई। कंपनी ने शुक्रवार को बयान में कहा कि पहली तिमाही में मंदी का जो माहौल बना था, वह जुलाई में भी जारी है। कंपनी का मानना है कि वर्ष की शेष अवधि की स्थिति काफी हद तक मानसून की स्थिति व त्योहारी सीजन की बिक्री पर निर्भर करेगी।
दूसरी तरफ होंडा मोटरसाइकिल व स्कूटर (एचएमएसआइ) ने भी शुक्रवार को बिक्री के आंकड़ों का एलान किया। कंपनी की बिक्री में 10.77 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। इस वर्ष जुलाई माह में कंपनी 4,89,631 वाहन ही बेचने में सफल हो पाई। जबकि जुलाई, 2018 में एचएमएसआइ ने 5,48,751 दोपहिया वाहनों की बिक्री की थी। इसके अतिरिक्त मोटरसाइकिल निर्माता रॉयल एनफील्ड की बिक्री 22 फीसद घटकर जुलाई 2019 में 54,185 पर आ गई। बीते वर्ष इसी माह 69,063 मोटरसाइकिलों की बिक्री की थी। घरेलू बाजार में कंपनी की बिक्री 27 फीसद गिरी है। यह 67,001 से घटकर 49,182 पर आ गई है। गुरुवार को ही बजाज ऑटो और टीवीएस मोटर्स के आंकड़े आए थे। बजाज ऑटो की बिक्री में 13 फीसद और टीवीएस की बिक्री में 15.27 फीसद की कमी दर्ज की गई थी।
देश के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल हब में पसरा है सन्नाटा
देश के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल हब गुरुग्राम (मानेसर) में इस समय कारोबार की दृष्टि से सन्नाटा छाया हुआ है। ऐसा इसलिए कि यह क्षेत्र मंदी की मार से दो-चार हो रहा है। वाहन निर्माता से लेकर ऑटो कंपोनेंट (ऑटो उपकरण) तैयार करने वाली कंपनियों का उत्पादन तेजी से गिरता जा रहा है। इसका कारण बाजार में कारों व दोपहिया वाहनों की मांग में भारी गिरावट है। पिछले वर्षों से तुलना की जाए तो इस समय तक ऑटोमोबाइल सेक्टर त्योहारी सीजन को लेकर अपनी तैयारियों में जुट जाता था। इस बार ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है। गुड़गांव चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष और ओनेसिस ऑटो प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ रोहित भाटिया ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की मंदी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार को अपनी नीतियों में बदलाव चाहिए। वहीं जीएसटी दर को तत्काल प्रभाव से घटाने की भी जरूरत है।