राखी का त्यौहार इस वजह से मनाते हैं दो मुख्य कारण जानिए

आप सभी जानते ही हैं कि हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है. ऐसे में हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन यह त्यौहार बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और यह त्यौहार इस बार 15 अगस्त को होगा. वहीं हर साल बहन अपने भाई की कलाई में विधि अनुसार राखी बांधती है और अपनी रक्षा का वचन मांगती है और रक्षा करने और करवाने के लिए बांधा जाने वाला पवित्र धागा रक्षा बंधन कहलाता है. कहा जाता है इस दिन बहनें अपने भाई की रक्षा के लिए उनके कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई बहनों को जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं. वहीं इसके पीछे कई मान्यताएं और कहानियां हैं जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.

पहले तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधी जाती थी – कहा जाता है बहन भाई को राखी बांधने से पहले प्रकृति की सुरक्षा के लिए तुलसी और नीम के पेड़ को राखी बांधती है जिसे वृक्ष-रक्षाबंधन भी कहा जाता है. हालांकि आजकल इसका प्रचलन नही है. राखी सिर्फ बहन अपने भाई को ही नहीं बल्कि वो किसी खास दोस्त को भी राखी बांधती है जिसे वो अपना भाई जैसा समझती है और तो और रक्षाबंधन के दिन पत्नी अपने पति को और शिष्य अपने गुरु को भी राखी बांधते है.

भगवान इंद्र को रक्षाबंधन से मिली थी जीत – कहते हैं भविष्यपुराण के अनुसार देवाताओं और दैत्यों के बीच एक बार युद्ध छिड़ गया, बलि नाम के असुर ने भगवान इंद्र को हरा दिया और अमरावती पर अपना अधिकार जमा लिया. तब इंद्र की पत्नी सची मदद का आग्रह लेकर भगवान विष्णु के पास पहुंची. भगवान विष्णु ने सची को सूती धागे से एक हाथ में पहने जाने वाला वयल बना कर दिया. भगवान विष्णु ने सची से कहा कि इसे इंद्र की कलाई में बांध देना. सची ने ऐसा ही किया, उन्होंने इंद्र की कलाई में वयल बांध दिया और सुरक्षा व सफलता की कामना की. इसके बाद भगवान इंद्र ने बलि को हरा कर अमरावती पर अपना अधिकार कर लिया.

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