इन दिनों सर्दियों का मौसम है और इस मौसम में बीमार होना तो लगा ही रहता है। आए दिन सर्दी, खांसी और बुखार लगा रहता है और ऐसे में दवाई लेना तो बनता है। दवाइयों के नाम आते ही हमारी नाक सिकुड़ने लगती है, दिमाग में बस ये चलने लगता है कि कौन कड़वी दवाई और इंजेक्शन का झंझट पाले लेकिन बीमारी तो इसी से ठीक होती है।
बीमारी के दिनों में दवाई खाने में बड़ों से ज्यादा परेशानी बच्चों को आती है। उन्हें कड़वी गोली खिलाना एक बहुत ही टेढ़ी खीर है। बच्चों को कड़वी दवा खाने में इतना रोना आता है कि वे इससे चिढ़ते हैं लेकिन फिर भी बीमारी ठीक करने के लिए दवाई खिलाना तो जरूरी है। इसके साथ ही उन्हें कभी-कभी इंजेक्शन लगवाने की भी जरूरत आ जाती है।
खैर ये सब तो बच्चों की बातें हुई। आपने अपनी बीमारी के दिन में कई तरह के इंजेक्शन लगवाए होंगे, कई तरह की गोलियां खाई होगी और कई तरह के सीरप पिए होंगे। आपने कैप्सूल भी खाए होंगे। क्या आपने गौर किया कि आपके पास आने वाला कैप्सूल दो रंग का होता है। क्या आपने सोचा ऐसा क्यों होता है, नहीं न। तो आइए आपको बताते हैं इसके दो रंगों का राज.
आपके हाथ में आने वाला कैप्सूल अक्सर दो रंगों का होता है। अक्सर हम इसे देखकर भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं पर कोई बात नहीं अब हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं। अगर आपके पास कोई कैप्सूल है तो जरा उस पर गौर करिएगा। कैप्सूल का एक पार्ट दूसरे पार्ट से चौड़ा होता है। दरअसल कैप्सूल दो भागों में बंटा होता है। कैप्सूल का पहला भाग दूसरे भाग से लंबा होता है जिसमें प्रोडक्शन के दौरान दवाई या दवाई का पाउडर फिल किया जाता है। पाउडर फिल करने के बाद बारी आती है इसे पैक करने की। इसे पैक करने के लिए कैप का यूज किया जाता है जो इस कैप्सूल का दूसरा भाग होता है।
यह कैप पहले कैप से ज़्यादा चौड़ी होती है और कम लंबी होती है। इसका रंग भी पहले वाले भाग से अलग होता है। इसका रंग इसलिए अलग होता है ताकि कैप वाले भाग और दवाई वाले भाग की पहचान की जा सके। इसके रंग के कारण ही इनके प्रोडक्शन में भी आसानी होती है और ये अट्रैक्टिव भी लगते हैं। आपको लग रहा होगा कि इसमें कैप लगाने की क्या जरूरत है पूरे कैप्सूल को भी तो पैक किया जा सकता है तो आपको बता दें कि जब कैप्सूल को खाया जाता है तो ये शरीर के अंदर जाकर गलने लगता है गलने पर इसके दोनों भाग अलग हो जाते हैं और इसके अंदर की दवाई आपके शरीर में अपना असर दिखाना शुरू कर देती है।
तो अब तो आप जान गए कि क्यों कैप्सूल दो तरह के होते हैं, तो कैप्सूल खाने से पहले ये जानकारी अपने आस-पास के लोगों को भी बताएं और इसे सोशल मीडिया पर भी शेयर करें।