अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मनना है कि आतंकवादी हाफिज सईद को पाकिस्तान 10 सालों से ढूंढ रहा था। उनको लगता है कि अमेरिकी दबाव के कारण ही जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद की गिरफ्तारी हुई है। ये पूरी दुनिया को पता है कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में खुली छूट मिली हुई थी। अब इस बात की पुष्टि खुद अमेरिका की विदेश मामलों की समिति ने ही की है।
हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा आतंकवादी हाफिज सईद को लेकर किए गए एक ट्वीट पर पलटवार किया। समिति ने कहा कि पाकिस्तान 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड को 10 साल से नहीं खोज रहा था, जैसा कि ट्रम्प ने दावा किया है। उन्होंने कहा कि हाफिज पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से रह रहा था।
बुधवार को पाकिस्तान की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट(CTD) ने हाफिज सईद को लाहौर से गिरफ्तार किया। हाफिज सईद लाहौर से गुजरांवाला आतंकवाद निरोधक अदालत में जमानत मांगने के लिए जा रहा था।
आतंकवादी हाफिज सईद की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि दस साल तक सर्च करने के बाद मुंबई आतंकी हमलों के तथाकथित मास्टरमाइंड को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया। उसे खोजने के लिए पिछले दो वर्षों में बहुत दबाव डाला गया था।
ट्रंप के ट्वीट पर पलटवार करते हुए अमेरिकी समिति ने कहा कि पाकिस्तान 10 वर्षों से उसकी तलाश नहीं कर रहा था। हाफिज सईद स्वतंत्र रूप से पाकिस्तान में रह रहा है। इससे पहले पाकिस्कान ने दिसंबर 2001, मई 2002, अक्टूबर 2002, अगस्त 2006 में दो बार, दिसंबर 2008, सितंबर 2009, जनवरी 2017 में गिरफ्तार किया गया और फिर छोड़ दिया।
इससे पहले जमात उद-दावा के सरगना हाफिज सईद और उसके तीन सहयोगियों को लाहौर की आंतक निरोधी अदालत (ATC) ने गिरफ्तारी से राहत दी थी। अदालत ने हाफिज सईद समेत तीन अन्य लोगों को गिरफ्तारी से पहले ही अंतरिम जमानत दे दी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच आगामी बैठक के मद्देनजर पाकिस्तान ने ये कदम उठाए हैं। पाकिस्तान सरकार के इस कदम को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दबाव का नतीजे के तौर पर भी देखा जा रहा है। पाकिस्तान को एफएटीएफ से ब्लैक लिस्ट होने का डर सता रहा है।