यूपीएससी और पीएससी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए स्नातक पाठ्यक्रम में बदलाव

विद्यार्थियों को यूपीएससी और पीएससी परीक्षाओं की तैयारी करने में स्नातक प्रथम वर्ष से ही मदद मिल सके, इसके लिए मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने स्नातक के सिलेबस में बदलाव किया है। इसमें विषय को तर्क सम्मत बनाया गया है, ताकि स्नातक के विद्यार्थियों को आइएएस व आइपीएस की तैयारी करने में मदद मिल सके।

उच्च शिक्षा विभाग ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से अनुमोदन लेकर बीए, बीएससी और बीकॉम के 25 संशोधित पाठ्यक्रम जारी किए हैं। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने केंद्रीय और अध्ययन मंडलों से यह पाठ्यक्रम तैयार कराया है।

यह पाठ्यक्रम दस साल बाद बदला गया है। इसमें विभाग ने हर साल के हिसाब से पांचों यूनिट को तैयार किया है। यह नया पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 से लागू होगा और इस साल प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी 2020-21 और 2021-22 में भी बदला हुआ पाठ्यक्रम पढ़ेंगे। द्वितीय और तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों के लिए पुराना पाठ्यक्रम ही रहेगा। सभी विषयों में 20 फीसदी बदलाव किया गया है।

इन विषयों के पाठ्यक्रम में बदलाव

समाजशास्त्र, रसायन, इतिहास, भौतिकी, गणित, अंग्रेजी, हिंदी, भूगोल, राजनीति, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी दर्शन, संस्कृत, मैनेजमेंट, जियोलॉजी, वनस्पति विज्ञान, मनोविज्ञान, पर्यावरण, सैन्य विज्ञान और उर्दू।

हिंदी ग्रंथ अकादमी से तैयार हो रही हैं किताबें

विभाग सभी 25 पाठ्यक्रम की किताबें हिंदी ग्रंथ अकादमी से तैयार करा रहा है, जो इसी साल सभी कॉलेजों में भेज दी जाएंगी। हालांकि कॉलेजों का शैक्षणिक सत्र एक जुलाई से शुरू होता है। पाठ्यक्र में बदलाव होने से हिंदी ग्रंथ अकादमी को किताबें तैयार करने में एक-दो माह लगेंगे।

नियमित और स्वाध्यायी के अलग-अलग होंगे अंक

हर विषय का पहला प्रश्न पत्र नियमित और स्वाध्यायी विद्यार्थियों को अलग-अलग दिया जाएगा। नियमित विद्यार्थियों को तिमाही और छमाही आंतरिक मूल्यांकन में पांच-पांच अंक दिए जाएंगे। वार्षिक परीक्षा में चालीस अंक मिलेंगे। इससे उनका जोड़ पचास अंकों का हो जाएगा, जबकि स्वाध्यायी विद्यार्थियों को पचास अंकों का पेपर देना होगा। प्रत्येक पेपर 50 अंक का होगा। इसमें दो अंक के पांच प्रश्न, तीन अंक के पांच और पांच अंक के पांच प्रश्न होंगे।

वर्जन

यूपीएससी व पीएससी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के हिसाब से स्नातक के 25 विषयों में बदलाव किया गया है। इससे विद्यार्थियों को स्नातक करने के बाद फायदा मिलेगा- डॉ. एएस यादव, ओएसडी, उच्च शिक्षा विभाग।

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