किन्नर का नाम लेते ही हमारे मस्तिष्क में उनके लिए एक अलग ही छवी आती है. किन्नर के सम्बन्ध में आपने जरुर सुना होंगा, यह न तो पुरुष होते है और ना ही स्त्री, इसलिए ये शादी भी नहीं रचाते है, ऐसे में आपको यह बात जानकर हैरानी होंगी कि ये सिर्फ एक रात के लिए शादी करते हैं. इसके बाद वो विधवा हो जाती है. आइये जानते हैं उनकी ये कहानी के बारे में.
दरअसल, पौराणिक कथाओं की माने तो, किन्नरों को एक भिन्न एवं दिव्य स्थान दिया गया है. जहां सबके रीति रिवाज भिन्न होते हैं वहीं किन्नरों के रीति रिवाज बहुत अलग और हटकर होते हैं. ऐसा ही एक रिवाज है तमिलनाडु के एक गांव में जहां आज भी एक ऐसा पर्व मनाया जाता है जिसमें सभी किन्नर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. बता दें कि, तमिलनाडु के विल्लुपुरम के कूवगम गांव में भगवान अहिरावण हेतु एक विशेष पर्व होता है जिसमें सभी किन्नर उनसे शादी रचाती है एवं तत्पश्चात अगले दिन ही विधवा हो जाती हैं. इसी खास दौरान उनकी शादी होती है जो सिर्फ एक ही दिन के लिए होती है.
किन्नरों की होती है भगवान अहिरावण से शादी
तभी से ही ये रिवाज चला आ रहा है इस पर्व को किन्नर लगभग 18 दिनों तक मनाते हैं तथा अहिरावण की कोतांडवार के रूप में पूजा करते हैं. यहां सभी किन्नर सज-धजकर मोहिनी रूप में तैयार होती हैं एवं अहिरावण को अपने पति के रूप में चुनती हैं. सिर्फ एक दिन में किन्नर अहिरावण से विवाह रचाते हैं और प्रथा के मुताबिक अगले ही दिन अहिरावण की मौत के बाद सभी किन्नर विधवा भी हो जाते हैं.