क्यों ज्यादा हो कॉर्पोरेट टैक्स ,सबसे ज्यादा निवेश और रोजगार देने वाली कंपनियों पर

ऊंचे कॉरपोरेट टैक्स की मार से कराह रहे उद्योग जगत को मोदी सरकार-2 के पहले आम बजट से टैक्स में राहत की आस है। उद्योग जगत की मांग है कि सरकार टर्नओवर के आधार पर भेदभाव को खत्म कर सभी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 फीसद करे। कॉरपोरेट टैक्स का बोझ हल्का होने से न सिर्फ घरेलू कंपनियां देश में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगी बल्कि विदेशी पूंजी भी भारत का रुख करेगी।

चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म एसआर डिनोडिया एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर संदीप डिनोडिया कहते हैं कि सरकार ने सालाना 250 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटा दी है। लेकिन बड़ी कंपनियों पर कॉरपोरेट टैक्स का बोझ 33 प्रतिशत से ऊपर है। इसके अलावा कंपनियों पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स का बोझ अलग है। कॉरपोरेट टैक्स के संबंध में छोटी और बड़ी कंपनी के आधार पर भेदभाव खत्म होना चाहिए।

उद्योग जगत का कहना है कि अगर कोई बड़ी कंपनी है तो उसने निवेश भी अधिक किया है और रोजगार भी ज्यादा दिया है। वह तरक्की में भी ज्यादा योगदान कर रही है तो फिर ऐसी कंपनी पर टैक्स का ज्यादा बोझ क्यों डाला जा रहा है।उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2015-16 के आम बजट में कॉरपोरेट टैक्स की दर चरणबद्ध ढंग से चार साल में 30 फीसद से घटाकर 25 फीसद पर लाने तथा कंपनियों को मिल रही विभिन्न प्रकार की टैक्स छूट को समाप्त करने का एलान किया था।

सरकार ने 2017 के बजट में उन कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 फीसद कर दिया जिनका सालाना टर्नओवर 50 करोड़ रुपये से कम था। सरकार का दावा है कि इससे टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाली 96 फीसद कंपनियों को लाभ हुआ था। इसके बाद सरकार ने 2018-19 के बजट में सालाना 250 करोड़ रुपये तक टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए भी कॉरपोरेट टैक्स की दर घटाकर 25 फीसद कर दिया। इसके बाद टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाली सात लाख कंपनियों में से सिर्फ सात हजार कंपनियां ही ऐसी बची हैं जिनका सालाना टर्नओवर 250 करोड़ रुपये से अधिक है। उन पर 30 फीसद की दर से कॉरपोरेट टैक्स लगता है।

टर्नओवर के आधार पर भेदभाव ठीक नहीं

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को कॉरपोरेट टैक्स लगाते समय टर्नओवर के आधार पर कंपनियों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिए। आरएन मारवाह एंड कंपनी एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर रघु मारवाह का कहना है कि वेतनभोगी वर्ग को फाइनेंस एक्ट, 2019 के जरिये प्रोत्साहन दिया जा चुका है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में कॉरपोरेट को टैक्स में कटौती की उम्मीद है। कॉरपोरेट टैक्स की दर टर्नओवर के आधार के बजाय सभी कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत होनी चाहिए। इससे भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। साथ ही मिनिमम ऑल्टरनेट टैक्स की दर भी 18.5 से घटाकर 15 फीसद करनी चाहिए।विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कॉरपोरेट टैक्स की दर उभरती हुई अन्य अर्थव्यवस्था तथा ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कॉपरेशन एंड डेवलपमेंट यानी ओईसीडी के सदस्य देशों की अपेक्षा काफी अधिक है। इसके चलते विदेशी निवेशक यहां पूंजी लगाने से कतराते हैं।

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