“टाइम पर्सन ऑफ़ द ईयर” अवार्ड के लिए मोदी ने जीता ऑनलाइन पाठकों का पोल !

ये बात तो सब जानते ही है, कि इस साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, “टाइम मैगज़ीन के पर्सन ऑफ़ द ईयर” में सबसे पहले स्थान पर थे. तो हम आपको बता दे कि प्रधानमंत्री मोदी ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय मैगजीन ‘टाइम’ के ‘पर्सन ऑफ द इयर’ खिताब के लिए जो ऑनलाइन रीडर्स पोल किया था, वो जीत लिया है . गौरतलब है, कि इस खिताब के लिए मोदी जी का मुकाबला दुनिया भर के कई राष्ट्राध्यक्षों, कलाकारों और राजनेताओं के साथ है . फ़िलहाल विजेता के नाम की घोषणा 7 दिसंबर को होगी क्योंकि अभी मैगज़ीन के संपादको का निर्णय बाकी है .my-49-1

अब अगर आंकड़ो की बात की जाये तो, रविवार रात को बंद की गई वोटिंग में मोदी को 18 फीसदी पाठकों का वोट मिला . वैसे मोदी जी का सबसे नजदीकी मुकाबला बराक ओबामा, डॉनल्ड ट्रंप और जूलियन असांजे से रहा . पर फिर भी अंत में अपने सभी प्रतिद्वंदियों के मुकाबले मोदी को ही सबसे ज्यादा वोट मिले . वही इस खिताब की दावेदारी में हिलरी क्लिंटन और मार्क जकरबर्ग का भी नाम है . गौरतलब है, कि हाल ही के दिनों में नोटबंदी के अपने फैसले के कारण मोदी काफी चर्चा में भी रहे हैं .

इसके इलावा ऑनलाइन पोल के नतीजों का विश्लेषण करते हुए पोल के मेजबान अपेस्टर ने पाठकों की वरीयताओं में भी अंतर पाया . इस पोल में पाया गया कि मोदी को भारतीयों की ओर से काफी वोट मिले . इसके साथ ही, उन्हें कैलिफोर्निया और न्यू जर्सी से भी काफी वोट मिले . आपको बता दे कि हर वर्ष टाइम पत्रिका साल के सबसे प्रभावी शख्स का चुनाव करती है . वही इस खिताब के लिए चुनी गई हस्ती के साथ नकारात्मक और सकारात्मक, दोनों ही तरह के कारण हो सकते हैं . अब किस शख्स का प्रभाव इस साल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा रहा, इस आधार पर ही विजेता के नाम का चुनाव किया जाता है . इसलिए इस बार उम्मीद की जा रही है, कि यह ख़िताब यक़ीनन मोदी के हाथ ही लगेगा

वही आपको ये जान कर ख़ुशी होगी कि, मोदी को वोट देने वाले पाठकों में बड़ी तादाद में भारतीय ही शामिल हैं . अगर पाठकों द्वारा दिए जाने वाले वोटों के हिसाब से देखें, तो मोदी सबसे पहले नंबर पर है. हालांकि यह खिताब किसे दिया जाए, इसका अंतिम निर्णय मैगजीन के संपादकों द्वारा ही किया जाता है . इसलिए ये जरूरी नहीं कि यह खिताब पीएम मोदी को ही मिले . मगर इससे ये तो पता चलता ही है, कि दुनिया इन नेताओं और राष्ट्राध्यक्षों के बारे में क्या सोचती है .

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