उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में बेरोजगारी सबसे विकराल समस्या है. रोजगार के अभाव में हजारों शिक्षित और गैर शिक्षित युवा महानगरों में ‘पनाह’ लेकर दो वक्त की रोटी कमा रहे हैं. ऐसा भी नहीं कि विभिन्न राजनीतिक दल इस समस्या से अनजान हों, लेकिन किसी भी दल ने बुंदेलखंड की इस समस्या को अपने एजेंडे में तरजीह नहीं दी है.
झूठ का झुनझुना थमा रहे हैं सभी दल
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड में चित्रकूट जिले की बरगढ़ ग्लास फैक्ट्री और बांदा जिले की कताई मिल दो ही रोजगार मुहैया कराने के संसाधन थे, जो पहले से ही बंद पड़ी हैं. सभी चार लोकसभा और सभी उन्नीस विधानसभा सीटों पर काबिज होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है. हर चुनाव की तरह इस आम लोकसभा चुनाव में भी सभी दल बेरोजगारों को झूठ का झुनझुना थमाने की कोशिश कर रहे हैं.
रोजगार बड़ी समस्या
चित्रकूटधाम मंडल बांदा के चार जिलों बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर के सरकारी सेवायोजन विभाग में 85 हजार शिक्षित बेरोजगार दर्ज हैं, जो किसी भी रोजगार की आस लगाए अब भी बैठे हैं. चित्रकूटधाम मंडल बांदा में तैनात उपनिदेशक कौशलेंद्र सिंह ने बताया, यहां के सेवा योजन कार्यालय में 26,252, चित्रकूट में 31,823, हमीरपुर में 16,565 और महोबा में 10,391 (कुल 85,031) शिक्षित बेरोजगार पंजीकृत हैं, जिन्हें सरकारी रोजगार नहीं मिला है. अलबत्ता 1,923 बेरोजगार जिले से बाहर निजी कंपनियों में दिहाड़ी के एवज में रोजी-रोटी कमा रहे हैं. यह आंकड़ा कुल पंजीकृत 85,031 बेरोजगारों में 2.26 फीसदी है.
नेताओं ने सिर्फ संपदा लूटने का काम किया
बुंदेलखंड किसान यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष विमल कुमार शर्मा कहते हैं कि कमोबेश सभी राजनीतिक दल से जुड़े नेता सत्ता परिवर्तन के साथ ही बुंदेलखंड की संपदा (बालू, पत्थर और वन संपदा) लूटना शुरू कर देते हैं, लेकिन कोई भी दल आद्यौगिक संस्थानों की स्थापना के बारे में नहीं सोचता. बेरोजगारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि 85 हजार शिक्षित बेरोजगार सरकारी आंकड़े हैं, गैर शिक्षित बेरोजगार कितने हैं? यह आंकड़ा किसी के पास नहीं हैं, जबकि बांदा जिले के ही करीब एक लाख लोग महानगरों की शरण लिए हुए हैं.
क्या कहते है भाजपा नेता
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नरैनी सीट से विधायक राजकरन कबीर का कहना है कि योगी सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराने जा रही है, इसके बनते ही लाखों बेरोजगारों को रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा. रही बात, फैक्ट्री या अन्य कारखाने लगवाने की, तो केंद्र में दोबारा मोदी सरकार बनने पर इसकी पहल की जाएगी.
बेरोजगारी चुनाव का अहम मुद्दा
वहीं, सामाजिक संगठन ‘पब्लिक एक्शन कमेटी’ की प्रमुख श्वेता मिश्रा ने कहा कि चुनाव जीतने के लिए सभी दलों के उम्मीदवार एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और मतदाताओं को झूठे आश्वासन दे रहे हैं. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस ने अलग से बुंदेलखंड की बेरोजगारी की समस्या को अपना चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है. इससे साफ जाहिर है कि आम लोगों के नसीब में ‘ढाक के तीन पात’ ही बदा है.