आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी का बहुत महत्व माना जाता है. हर साल यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है और इसके अगले दिन यानी अष्टमी को बासोड़ा या शीतला अष्टमी का पर्व मनाते हैं. ऐसे में सप्तमी के दिन घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं और इनमें हलवा, पूरी, दही बड़ा, पकौड़ी, पुए रबड़ी आदि बनाया जाता है इसी के अगले दिन सुबह महिलाएं इन चीजों का भोग शीतला माता को लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं.
आप सभी को बता दें कि इस दिन शीतला माता समेत घर के सदस्य भी बासी भोजन ग्रहण करते हैं और इसी वजह से इसे बासौड़ा पर्व भी कहा जाता है. इसी के साथ यह मान्यता भी है कि इस दिन के बाद से बासी खाना खाना उचित नहीं होता है. जी हाँ, यह सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत होता है और इसे इस मौसम का अंतिम दिन माना जाता है.
ऐसे में इस दिन पूजा करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और उनके आर्शीवाद से दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गंधयुक्त फोड़े, शीतला की फुंसियां, शीतला जनित दोष और नेत्रों के समस्त रोग दूर हो सकते हैं. आज के दिन को हिन्दुओं के लिए बहुत ख़ास माना जाता है. शीतला सप्तमी का व्रत रखने से बहुत से दुःख दर्द दूर हो जाते हैं और इस दिन माता की पूजा करने से बहुत लाभ होता है.
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