महाभारत में भीम अपने बड़े भाई युधिष्ठिर के हाथ क्यों जलाना चाहते थे

आप सभी जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में रामायण और महाभारत सबसे ज्यादा पवित्र ग्रंथ माने जाते हैं और इनमे कई ऐसी बातें लिखी हुईं हैं जो सभी को जान लेनी चाहिए. आप सभी ने अब तक अपने दादा-दादी से कई कहानियां भी सुनी होंगी लेकिन कुछ रहस्य आज भी उजागर नहीं हुए हैं और इनमे छुपे ही रह गये है. ऐसे में एक यह भी है कि एक समय ऐसा आया था जब पांडवों में भीम अपने ही बड़े भाई युधिष्ठिर के दोनों हाथ जलाना चाहते थे. आइए जानते हैं इसके पीछे की वह कहानी…

कथा – माना जाता है कि जब जुए में कौरवों से पांडव हार गए और युधिष्ठिर ने द्रौपदी को भी भी अपने दावं पर लगाया और उसे भी जुए में हार गए. उसके बाद दुर्योधन ने अपने भाई दुशासन से भरी सभा में द्रौपदी का अपमान करने को कहा था, जिसके बाद भीम का काफी गुस्सा आया था. भीम युधिष्ठिर से कहते हैं कि द्रौपदी अपमान करने के योग्य नहीं है, लेकिन आपके कारण ये दुष्ट कौरव उसे अपमानित कर रहे हैं और वह भी भरी सभा में. इसलिए मैं आपके उन दोनों हाथों को जला दूंगा, जिनसे आपने द्रौपदी को जुए में हारा है.

सहदेव से अग्नि लाने को कहा- भीम सहदेव से अग्नि लाने को कहते हैं और बाद में अर्जुन उन्हें समझाते हैं और कहते हैं कि युधिष्ठिर ने क्षत्रिय धर्म के अनुसार ही जुआ खेला है. इसमें इनका कोई दोष नहीं हैं. अर्जुन की बात सुनकर भीम का गुस्सा शांत हो जाता है और वो कहते हैं कि यह बात मैं भी जानता हूं. अगर नहीं जानता तो मैं कब का बलपूर्वक युधिष्ठिर के दोनों हाथों को जला देता.

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