चुनाव आयोग ने रविवार की शाम में आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। चुनाव आयोग की इस घोषणा का बिहार में भी राजनीतिक दल इंतजार कर रहे थे। बिहार में लोकसभा की 40 सीटों पर कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव है। चुनाव की घोषणा के बाद अब राज्य का सियासी पारा भी चढ़ना तय माना जा रहा है।
चुनाव आयोग ने रविवार की शाम आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी। इसी के साथ ही पूरे देश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने चुनाव की तारीखों की घाेषणा की। उन्होंने कहा कि बिहार में सात चरणों में चुनाव होंगे। मतगणना 23 मई को होगी। 27 मई को चुनावी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
बिहार में इन चरणों में होगी वोटिंग
बिहार में सात चरणों में चुनाव होंगे। पहला चरण 11 अप्रैल, दूसरा चरण 18 अप्रैल, तीसरा चरण 23 अप्रैल, चौथा चरण 29 अप्रैल, पांचवां चरण छह मई, छठा चरण 12 मई तथा सातवां चरण 19 मई को है। पहले चरण में चार, दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें चरण में पांच-पांच, छठे व सातवें चरण में आठ-आठ सीटों पर वोटिंग होगी।
पहला चरण: 11 अप्रैल
औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई
दूसरा चरण: 18 अप्रैल
भागलपुर, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया और बांका
तीसरा चरण: 23 अप्रैल
झंझारपुर, सुपौल, अररिया, ख़गड़िया और मधेपुरा
चौथा चरण: 29 अप्रैल
मुंगेर, बेगूसराय, उजियारपुर, दरभंगा और समस्तीपुर
पांचवां चरण: 6 मई
सीतामढ़ी, मधुबनी, मुज़फ़्फ़रपुर, सारण और हाजीपुर
छठा चरण: 12 मई
वाल्मीकिनगर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज
सातवां चरण: 19 मई
सासाराम, काराकाट, जहानाबाद, बक्सर, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, नालंदा और आरा
1999 के बाद पहली बार हुआ ऐसा…
खास बात यह भी है कि 1999 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि मार्च के शुरुआती आठ दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा नहीं की गई है। इसके पहले 2004, 2009 और 2014 में 29 फरवरी से 5 मार्च के बीच चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया था। साल 1999 में लोकसभा चुनाव की घोषणा 4 मई को की गई थी।
मोदी के खिलाफ राहुल कांग्रेस के पीएम प्रत्याशी
आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों गठबंघनों (राजग व संप्रग) के बड़े चेहरे हैं। राहुल गांधी कांग्रेस के प्रधानमंत्री प्रत्याशी हैं। भाजपा ने 2013 में नरेंद्र माेदी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी का उम्मीदवार घोषित किया था। इस बार भी वही सत्ताधारी राजग के प्रधानमंत्री प्रत्याशी हैं।
अब गरमाएगी बिहार की सियासत
चुनाव की घोषणा के बाद बिहार में सियासी पारा चढ़ना तय है। अभी तक राजग या महागठबंधन के किसी भी दल ने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। राजग में सीटों का बंटवारा होने के बाद सीटों का पार्टियों का अलॉटमेंट नहीं हो सका है। महागठबंधन में तो सीट शेयरिंग तक में पेंच फंसा हुआ है। चुनाव की घोषणा के बाद अब विभिन्न दल अपने-अपने गठबंधनों में सीटों को लेकर दबाव बढ़ाएंगे। महागठबंधन में जीतनराम मांझर तथा उपेंद्र कुशवाहा का दबाव बढ़ना तय है।
दांव पर कई बड़े नेताओं की किस्मत, दलबदल भी तय
बिहार की बात करें तो आगामी लोकसभा चुनाव में राजग व महागठबंधन के कई बड़े नेताओं की किस्मत लिखेगी। टिकट नहीं मिलने पर दल-बदल भी तय हैं। कई सीटों को लेकर गठबंधन के घटक दलों के बीच ही पेंच फंसता दिख रहा है। उदाहरण के रूप में देखें तो दरभंगा सीट पर कांग्रेस कीर्ति आजाद को टिकट देना चरहती है, लेकिन इसपर राजद के फातमी की भी नजर है।
सत्ता पक्ष में अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह, रामकृपाल यादव, रामविलास पासवान, चिराग पासवान, केसी त्यागी आदि दर्जनों नेताओं की प्रतिष्ठा इस चुनाव में फंसी हुई है। विपक्षी में जयप्रकाश यादव, उपेंद्र कुशवाहा, शरद यादव, कन्हैया, पप्पू यादव, कीर्ति आजाद आदि के नाम गिनाए जा सकते हैं।
विपक्ष की राजनीति के धुरी बने लालू
चारा घोटाला में सजा पाए राजद सु्प्रीमो लालू प्रसाद यादव भले ही चुनाव नहीं लड़ें, लेकिन बिहार में विपक्ष की पूरी राजनीति उनके आसपास ही घूूमती रहेगी, यह तय है। राजद के सभी बड़े फैसले वहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में उनकी जमानत पर सोमवार को सुनवाई है। अगर उन्हें जमानत मिल गई तो इसका लाभ राजद को मिलना भी तय है।
चुनाव में ये मुद्दे रहेंगे अहम
जहां तक मुद्दों की बात है, विकास, भ्रष्टाचार, राफेल, गरीबी, बेरोजगारी व आरक्षण के मुद्दे तो चर्चामें हैं ही, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले व पाकिस्तान में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद राष्ट्रवाद भी बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। भाजपा की बात करें तो राम मंदिर का मुद्दा भी अहम है।