‘लक्ष्य कोई भी बड़ा नहीं, जीता वही जो डरा नहीं’, यह पंक्तियां उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक स्थित ग्राम बाडिया निवासी मीरा रावत(20 वर्षीय) पर चरितार्थ होती हैं। मीरा ने ट्रैकिंग व्यवसाय को अपनाकर अन्य महिलाओं के लिए भी मिसाल पेश की है। बीते तीन सालों से वह पहाड़ में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए जहां हैरिटेज ट्रैकिंग को प्रमोट कर रही हैं, वहीं यमुना घाटी में पहाड़ी संस्कृति को समृद्ध करने में भी जुटी हैं।
मीरा के पिता विजय सिंह रावत का अपना ट्रैकिंग व्यवसाय है। विजय बताते हैं कि जब भी वह ट्रैकर्स को ट्रैकिंग कराकर घर पर इसकी चर्चा करते रहते थे, मीरा उनके हर रोचक संस्मरण को गंभीरता से सुनती थी। वर्ष 2017 में मीरा ने जब पिता से गुलाबी कांठा ट्रैक की चर्चा सुनी तो वह भी इस ट्रैक पर उनके साथ जाने के जिद करने लगी। मीरा की उत्सुकता भांप इस मुहिम में उन्होंने उसे भी शामिल कर लिया। तब से लेकर अब तक मीरा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और ट्रैकिंग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना दिया।
बीए तृतीय वर्ष में अध्ययनरत मीरा अब तक 12 हजार फीट पर स्थित गुलाबी कांठा में विभिन्न राज्यों से आए नौ दलों के 60 सदस्यों को ट्रैकिंग करा चुकी हैं। इन दिनों वह महाराष्ट्र के एक पर्यटक दल को केदारकांठा की ट्रैकिंग करा रही हैं। मीरा बताती हैं कि बचपन से ही उन्हें पहाड़ की वादियां बेहद आकर्षित करती रही हैं। गांव में पढ़ाई के दौरान उन्होंने गुलाबी कांठा, कंडोला थाच, निसनी आदि प्रमुख स्थलों की सैर कर ली थी।
ट्रैकिंग अभियान की शुरुआत उन्होंने वर्ष 2017 से की। इसके तहत अब तक वह 60 से अधिक देशी-विदेशी पर्यटकों को ट्रैकिंग करा चुकी हैं। कहती हैं, पहाड़ के हर गांव में ट्रैकिंग रूट हैं, जो सिर्फ गांव ही नहीं, पहाड़ की संस्कृति और सभ्यता को भी जोड़ते हैं। इसी कारण उन्होंने पहाड़ का भोजन, होम स्टे और पौराणिक स्थलों को भी अपने ट्रैकिंग चार्ट में शामिल किया है।
महिला दिवस पर सम्मानित होंगी मीरा उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान बताते हैं कि जिले के युवा उद्यमियों की सूची में मीरा रावत का नाम भी सूचीबद्ध किया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें महिला और बाल विकास विभाग की ओर से आठ मार्च को महिला दिवस पर सम्मानित भी किया जाएगा।