लोकसभा चुनावों की घोषणा के ठीक पहले सुरक्षा बलों पर हुए अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले से सरकार सांसत में है तो विरोधी दल भी असहज। पूरे देश से सरकार पर कड़ी कार्रवाई का दबाब बढ़ रहा है और विपक्ष भी उसके साथ खड़ा है। इसलिए उसे कार्रवाई तो करनी ही होगी और जल्दी ही। चूंकि इसका असर चुनावों तक जाएगा इसलिए राजनीति भी संभल कर हो रही है। यही वजह है कि बीते दो दिनों से सरकार व सुरक्षा एजेंसियां तो तैयारी में लगी ही है, बीजेपी में भी भावी कार्रवाई को लेकर मंथन चल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते दो दिनों से लगातार आतंकवादियों और उनके सर परस्तों को कड़ी चेतावनी और कठोर कार्रवाई की बात कर रहे है, जिससे इस बात की संभावना है कि जल्द ही भारत की तरफ से प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। चुनाव सिर पर होने से भाजपा के लिए भी यह चिंता का समय है। अगर कड़ी कार्रनाई नहीं हुई तो देश में लोगों का सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ेगा और उसे चुनावों में नुक्सान हो सकता है। जब देश की की पूरी जनता व सभी राजनीतिक दल साथ खड़े हैं तो सरकार भी भारी दबाब में हैं।
बीजेपी का मानना है कि जो विपक्षी दल आज सरकार के साथ में है, वह बाद में कार्रवाई के नफा नुकसान पर अपनी बोली भी बदलेंगे और सरकार को घेरेगे भी। ऐसे में जो भी कार्रवाई हो वह चाक चौबंद हो, जिसमें दुश्मन तो साफ हो, लेकिन भारतीय पक्ष को कोई नुकसान न हो। इसके लिए आतंक विरोधी कार्रनाई करने में माहिर विदेशी विशेषज्ञों व एजेंसियों की भी मदद ली जा सकती है। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान के खिलाफ सीधी कार्रवाई के बजाए वहां पर आतंकी सरगनाओं को निशाना बनाया जा सकता है।
सूत्रों के अनुसार भावी कार्रवाई को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है। जो भी कार्रवाई होगी, उस पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया का भी अंदाजा लगाया जा रहा है। चूंकि चुनाव सामने हैं इसलिए भी सरकार के लिए समस्या है। कार्रवाई के बाद सभी सीमाओं पर जवानों को सतर्क रखा जाएगा। ऐसे में चुनावों के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल की समस्या भी खड़ी हो सकती है। चूंकि जन दबाब इतना ज्यादा है कि सरकार जबाब देने के लिए ज्यादा इंतजार भी नहीं कर सकती है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि सरकार जो भी कार्रवाई करेगी, वह देश के लिए करेगी, उसका चुनाव से कोई लेना देना नहीं होगा। चुनाव के बारे में चुनाव आयोग व गृह मंत्रालय से चर्चा कर फैसला लेगा।