मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय आज फिर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति राबर्ट वाड्रा से पूछताछ कर रहा है। वाड्रा ईडी दफ्तर पहुंच चुके हैं। यह तीसरी बार है जब प्रवर्तन निदेशायल ने वाड्रा को पूछताछ के लिए बुलाया है।
यहां उनसे पूछताछ शुरू हो चुकी है और ईडी के डिप्टी डायरेक्टर के नेतृत्व में टीम उनसे सवाल-जवाब कर रही है। जानकारी के अनुसार आज ईडी, वाड्रा से उनकी भारतीय संपत्तियों के बारे में सवाल पूछ रही है। इनमें यह पूछा जा रहा है कि भारत में वाड्रा की कितनी प्रॉपर्टी हैं, पहली प्रॉपर्टी कब ली, कहां-कहां पॉबपर्टी है, कितने फ्लैट और प्लॉट हैं।
विवादों से राबर्ट वाड्रा का पुराना नाता है। उनकी कंपनियों पर बार-बार विवादित सौदों के आरोप लगते रहे हैं। सबसे पहले 2011 में वाड्रा पर गुरुग्राम में 300 करोड़ की संपत्ति अवैध तरीके से बनाने का आरोप लगा था। यह अलग बात है कि अब पहली बार उनपर कानून का शिकंजा कसता दिख रहा है और उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होकर बेनामी संपत्ति के आरोपों पर जवाब देना पड़ा है।
मूल रूप से मुरादाबाद के तांबे के बर्तनों के कारोबारी के घर पैदा हुए राबर्ट वाड्रा की शादी 1997 में प्रियंका गांधी से हुई थी। इसके बाद उन्होंने हैंडीक्राफ्ट वस्तुओं के निर्यात का कारोबार शुरू किया। 2004 में संप्रग की सरकार बनने के तीन साल बाद राबर्ट वाड्रा ने एक के बाद कई कंपनियां शुरू की। जिनमें मुख्यतौर पर वे और उनकी मां मॉरीन वाड्रा निदेशक हैं। 2014 में वॉल स्ट्रीट जनरल में छपी एक खबर के मुताबिक 2007 में एक लाख रूपये की पूंजी से शुरू की गई वाड्रा की कंपनियों की कुल संपत्ति 2012 में 300 करोड़ रुपये से ऊपर हो गई थी।
वैसे वाड्रा पहली बार विवादों के केंद्र में 2011 में आए। डीएलएफ से 65 करोड़ रुपये का लोन लेकर उसी की जमीन खरीद के मामले में विपक्ष ने मुद्दा बनाया और वाड्रा पर गुरूग्राम में 300 करोड़ की संपत्ति अवैध तरीके से हथियाने का आरोप लगाया था। लेकिन तमाम विवादों के बाद भी डीएलएफ मामलों को कंपनी का कारोबारी मामला बताया गया और वाड्रा जांच एजेंसियों के चंगुल से साफ बच निकले।
उनकी असली मुसीबत तब शुरु हुई जब बीकानेर जमीन घोटाले में उनकी कंपनी स्काईलाईट हास्पीटलिटी का नाम आया। इस मामले की ईडी मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही है। इस मामले में ईडी की पूछताछ से अब तक बचते रहे राबर्ट वाड्रा को राजस्थान हाईकोर्ट ने 11 फरवरी को ईडी के सामने पेश होने का आदेश दिया था। इसके साथ ही गुड़गांव के कई जमीन सौदों में उनकी भूमिका जांच के दायरे में है।
2016 में जब आयकर विभाग ने रक्षा सौदों की दलाली करने वाले संजय भंडारी के यहां छापा मारा तो राबर्ट वाड्रा के साथ करीबी संबंधों का पता चला। भंडारी के पास मिले दस्तावेजों से राबर्ट वाड्रा की विदेशों में बेनामी संपत्तियों की सूची देखकर जांच एजेंसियां चौंक गई। आशंका है कि ये संपत्तियां रक्षा और पेट्रोलियम सौदों में दलाली की रकम से बनाई गईं थी। ईडी ने इस मामले में मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत जांच शुरू कर दी।
कानून का बढ़ते शिकंजे को देखते हुए संजय भंडारी नेपाल के रास्ते देश से फरार हो गया। लेकिन संजय भंडारी के पास के मिले दस्तावेजों के आधार पर ईडी वाड्रा के खिलाफ सबूत जुटाती रही और पिछले साल दिसंबर में वाड्रा की कंपनियों पर छापा भी मारा। ईडी ने इस मामले में वाड्रा के सहयोगी मनोज अरोड़ा से भी पूछताछ शुरू की। तब जाकर वाड्रा को पहली बार गिरफ्तारी की डर सताने लगा। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई। अदालत ने 16 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए ईडी के सामने पेश होने का आदेश दे दिया।