प्राचीन काल में बनाए गए सहवास के 5 नियम, पालन करने से मिलते हैं अद्भुत फायदे, जानकर हो जायेंगे हैरान

शारीरिक सम्बन्ध पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए बहुत जरुरी होता है लेकिन उस सम्बन्ध में प्रेम का होना भी बहुत जरुरी है. पहले के समय में सहवास के कुछ नियम बताये गये थे. सहवास के इन नियमों का पालन करने से साहचर्य सुख, लम्बी आयु, मैत्रीलाभ, वंशवृद्धि, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. अगर कोई व्यक्ति पहले के समय में बताये गये सहवास के नियमों का पालन करता हैं तो वो बहुत सारी परेशानियों से बच सकता है.

पति पत्नी पहले के समय में हर रात नहीं मिला करते थे बल्कि उनके मिलने का उदेश्य सिर्फ संतान प्राप्ति के लिए होता था. प्राचीन समय में पति पत्नी शुभ योग और शुभ दिन को देखते हुए सहवास करके संतान सुख की प्राप्ति कर लेते थे. आज के समय में लोग अनुशासनहीन होकर किसी भी समय सहवास कर लेते हैं क्योंकि उन्हें प्राचीन सहवास के नियमों के बारे में पता नहीं होता. आज हम आपको प्राचीन सहवास के कुछ नियमों के बारे में बतायेंगे जिन्हें अपनाकर आप जीवन में सुख का आनंद उठा पाएंगे.

सहवास के प्राचीन नियम

1. पहला नियम –
व्यक्ति के शरीर में पांच तरह की वायु का वास होता है जो इस प्रकार हैं – अपान, प्राण, व्यान, समान और उदान. इन सभी वायु का अलग महत्व होता है. बात करते हैं अपान वायु की जो सम्भोग से सम्बन्ध रखती हैं और इस वायु का काम मल ,मूत्र और गर्भ को बाहर निकालना होता है. जब ये वायु दूषित हो जाती है तो मूत्राशय और गुदा से सम्बन्धी समस्या उत्पन्न होने लगती है. अपान वायु प्रजनन, सम्भोग और माहवारी को नियंत्रित रखती है. सही समय पर शौच करने से अपान वायु शुद्ध रहती हैं.

2. दूसरा नियम –
कामसूत्र के मुताबिक महिलाओं को भी कामशास्त्र का ज्ञान होना बहुत जरुरी है. कामसूत्र के रचायिता के अनुसार स्त्री को बिस्तर पर गणिका की तरह व्‍यवहार करना चाहिए. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती हैं और पति किसी और महिला की तरफ आकर्षित नहीं होता.

3. तीसरा नियम –
शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे दिन हैं जब पति पत्नी को शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए. ऐसा कहा जाता है इन दिनों में पति पत्नी को एक दूसरे से दूर रहना चाहिए. ये हैं वो दिन जब पति पत्नी को सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए – रविवार, पूर्णिमा, नवरात्रि, अष्टमी, संधिकाल, अमावस्या और श्राद्ध पक्ष. इस नियम का पालन करने से पति पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है और जीवन में खुशियाँ आती हैं.

4. चौथा नियम –
शास्त्रों के अनुसार रात का पहला प्रहर सहवास के लिए सबसे उत्तम माना गया है. इस समय बनाये गये सम्बन्ध से जो संतान पैदा होती हैं वो धार्मिक, संस्कारी, माता पिता से प्यार करने वाली, सात्विक और आज्ञाकारी होती है. अगर पति पत्नी इस समय के बाद सम्बन्ध बनाते हैं तो शरीर में कई रोग घर कर जाते हैं, जैसे – अनिंद्रा, थकान और मानसिक कलेश आदि.

5. पांचवां नियम –
महर्षि वात्स्यायन के द्वारा बताये गये सहवास के नियमों का पालन करने से पुत्र प्राप्ति होती है. अगर संतान के रूप में पुत्र की प्राप्ति चाहते हो तो सम्बन्ध बनाते समय पति को हमेशा अपनी पत्नी की बाईं ओर लेटना चाहिए.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com