उस समय अगर ऐसा हुआ होता तो राम बन जाते हत्यारे, पढ़िए किसने बचाया था राम को इस कष्टकारी श्राप से

भगवान राम को सभी मर्यादा पुरषोत्तम राम के नाम से भी जानते हैं.

हमेशा मर्यादा में रहने वाले राम और वचन को पूरा करने वाले राम, कभी किसी की हत्या करने के लिए पागल और परेशान हो जायेंगे, ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता है.

किन्तु रामायण के अंतिम भाग में इस कथा – राम बन जाते हत्यारे – का भी जिक्र आता है. इस कथा – राम बन जाते हत्यारे –  में लिखा है कि एक बार राम इस परेशानी में फंस गये थे कि इनको या तो एक राजा को मृत्युदंड देना था या फिर खुद को गुरु से श्रापित करवाना था.

तो आइये आज हम आपको भगवान राम की यह कहानी – राम बन जाते हत्यारे –

राम तब राजाओं से साथ दरबार लगाते थे – 

रामायण में इस कथा का जिक्र है कि उन दिनों भगवान राम अपने राज्य के आसपास के सभी राजाओं के साथ सभा जरूर करते थे. जनता के लिए अच्छी-नीतियों का पालन हो सके, यही इस सभा का उद्देश्य होता था. तो एक बार राजा कुंवर सिंह भी इस सभा के लिए जा रहा था तो बीच में इस राजा को नारद जी मिले. उन्होंने इस राजा को बुलाया और बोला कि अन्दर जाकर भगवान राम को प्रणाम करना किन्तु विश्वामित्र जी को सम्मान मत देना. क्योकि वह भी एक क्षत्रिय हैं और तुम भी के क्षत्रिय हो. एक क्षत्रिय दूसरे क्षत्रिय को प्रणाम नहीं करता है. तो राजा को भी यह बात सही लगी थी.

तब राजा सभा में गया –

तो जब राजा सभा में गया तो उसने राम को प्रणाम किया और बाकी संतों को भी प्रणाम किया किन्तु विश्वामित्र को प्रणाम नहीं किया. जब ऐसा हुआ तो विश्वामित्र जी को काफी क्रोध आया और उन्होंने राम से कहा कि हे राम अब तुम्हारी सभा में मेरा अपमान होगा और तुम इस बात को सहन कर लोगे. इस राजा ने मुझे प्रणाम नहीं किया. अब या तो तुम इसे मृत्युदंड दो या मैं तुम्हें श्राप देता हूँ.

तब भगवान राम बोले

हे गुरुदेव, मुझे क्षमा कीजिये. मुझे श्राप ना दें, क्योकि अभी तो बड़ी मुश्किलों से 14 वर्ष का वनवास खत्म किया है. मैं अगले 24 घंटे में इस राजा को म्रत्युदंड दूंगा. यह सुनते ही राजा के प्राण यहीं निकल जाते हैं और वह सभा से भाग जाता है.

तब राजा नारद को याद करता है

 

परेशान राजा नारद को याद करता है और नारद प्रकट होकर राजा को बोलते हैं कि राजा तुम घबराओं मत, तुम हनुमान जी के घर चले जाओ. वहां हनुमान जी से अपने प्राणों की रक्षा के लिए बोलो. राजा भागा-भागा हनुमान जी के घर पहुँचता है, जहाँ हनुमान जी की माता अंजनी जी राजा को मिलती हैं.

राजा माता के पैर पकड़कर बोलता है माता मुझे बचा लो. तब माता राजा से पूछती हैं कि क्या हुआ राजा और राजा बताता है कि किसी ने 24 घंटे में मुझे मारने की कसम खाई है. तब माता बोलती हैं कि रुक जाओ हनुमान आएगा तो तुमको बचा लेगा. तुम घबराओं मत.

हनुमान आते हैं 

जब हनुमान घर आते हैं तो माता बोलती हैं कि कोई हमारे घर आया है और उसके प्राणों की रक्षा तुमको करनी है, मैंने उसको वचन दे दिया है. हनुमान जब राजा से राम जी की सभा का सारा विवरण सुनते हैं तो सर पकड़कर बैठ जाते हैं कि अपने प्रभु राम का सामना कैसे करें और यहाँ राम जी के वचन का भी पालन होना चाहिए और माता के वचन का भी.

तो हनुमान जी एक खेल रचते हैं कि राजा को नदी के किनारे ले जाते हैं जहाँ खुद राम इसको मारने आने वाले थे.

तब हनुमान जी रचते हैं एक खेल

 

हनुमान जी राजा को बोलते हैं कि जब श्री राम जी तुमको मारने आयें तो तुम राम-राम नाम जपने लगना. जब राम आये तो राजा को राम नाम जपते हुए पाया. राम बोले कि इस राम नाम जपने वाले को मैं कैसे मार सकता हूँ. राम यहाँ से परेशान होकर चले जाते हैं.

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राम अपने गुरु विश्वामित्र जी को सारा हाल सुनाते हैं तो गुरु बोलते हैं कि हे राम मैं तुमको श्राप देता हूँ और तभी राम गुरु के चरणों में माफ़ी मांगकर फिर से राजा को मारने के लिए चल देते हैं.

इस बार राजा माता सीता का नाम जप रहा होता है तो राम फिर से परेशान हो जाते हैं. राम एक बार फिर लौटकर आते हैं तो राजा हनुमान जी का नाम जप रहा होता है. राम बोलते हैं कि मैं इस राजा को नहीं मारा जा सकता हूँ. ये तो मेरे प्रिय भक्त हनुमान जी का भी भक्त है.

तब नारद जी विश्वामित्र के पास जाते हैं

तब राम को परेशान देख नारद खुद विश्वामित्र के पास जाते हैं और भगवान राम की सारी परेशानी इनको बताते हैं. तब खुद विश्वामित्र नदी के घाट पर जाकर राम और राजा को माफ करते हैं.

ये थी कहानी – राम बन जाते हत्यारे –

 

इसके बाद हनुमान जी राम के सामने आते हैं और राम इनको गले लगा लेते हैं. क्योकि राम जानते थे कि ऐसा हनुमान के सिवा कोई और कर ही नहीं सकता है. राम बन जाते हत्यारे – मगर इस तरह से राम एक हत्या और श्राप दोनों से बच जाते हैं.

तभी हनुमान बताते हैं कि राम से बड़ा राम का नाम होता है. राम नाम जो भी व्यक्ति जपेगा, उसका बेड़ा पार हो जायेगा.

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