हर प्रकार की सब्जी मे काली मिर्च डालना लाभदायक होता है। अग आधे सिर में दर्द हो तो 12 ग्राम कालीमिर्च चबाकर खाएं और ऊपर से 30 ग्राम देशी घी पीएं, लाभ होगा।
नेत्र-ज्योति- पिसी कालीमिर्च, घी, बूरा सभी सामान मात्रा में मिलाकर चौथाई चम्मच सुबह-शाम खाने से नेत्र ज्योति तेज होती है।
ज्वर- यदि ज्वर में उबासियां या जम्हाइंयां आती हों, शरीर में दर्द हो, दुर्बलता और कंपकंपी हो तो सुबह शाम बीस कालीमिर्च कूटकर एक गिलास पानी में उबालें। चौथाई पानी रहने पर गर्म गर्म पिए बुखार उतर जाएगा।
कफ- तीस कालीमिर्च पीसकर दो कप पानी में उबलें। चौथाई पानी रहने पर छानकर एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पिएं। इससे खांसी, कफ, गले में कप लगे रहना ठीक हो जाता है।
दमा- कालीमिर्च, 5 तुलसी के पत्ते चबाकर पानी पीने से दमा का दौरा शान्त हो जाता है।
सावधानी- किसी किसी रोगी को इसके सेवन से उल्टी हो जाती है। पर घबराने की बात नहीं है। जिनके कफ जमा होता है उनका कप निकालने के लिए उल्टी होती है। कफ निकलने के बाद उल्टी अपने आप बंद हो जाती है।
परहेज- इसका सेवन करने के बाद एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाएं। साथ ही एक महीने रोगी को खटाई, तेल, घी, ठंडी चीजें नहीं दें।
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