भगवान भास्कर के तेज से ही पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाया है इसलिए हिंदू धर्म में सूर्य देव की पूजा को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार तो हर दिन भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए लेकिन रविवार के दिन की गई पूजा अर्चना विशेष फलदायी होती है। ज्योतिष शास्त्रों में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति कहा जाता है और सूर्य देव की पूजा हमारे जीवन की सभी परेशानियों को दूर कर देता है। यह भी कहा गया है कि अगर कुंडली में सूर्य ग्रह ठीक न हो तो व्यक्ति को समाज में मान सम्मान और उच्च पद हासिल नहीं हो पाता है। साथ ही सूर्य के तेज से कई बिमारियों का अंत हो जाता है।
ठीक इसके विपरीत कुंडली में सूर्य ग्रह अगर कमजोर होता है तो व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सभी ग्रहों को प्रसन्न करने के बजाय अगर हम केवल सूर्य देव की अराधना करे तो व्यक्ति का भाग्य उदय हो जाता है। पौराणिक काल से ही भगवान सूर्य को अर्घ्यदान की विशेष महत्वता बताई गई है। कहा जाता है इससे सूर्य देव प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, वीर्य, यश, कीर्ति, कान्ति, वैभव, सुख और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
तो आइए जानते हैं सूर्यदेव को अर्ध्य देने की विधि
सर्वप्रथम ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद अगर हो सके तो लाल रंग के कपड़े धारण कर एक तांबे का लोटा लें। उसमें जल भरें और फिर इस जल में चुटकी भर रोली डालकर या फिर लाल चंदन और एक फूल डालकर सूर्य देव के सामने खड़े होकर लोटे को दोनों हाथों से पकड़कर अपने सिर के ऊपर से सूर्यदेव को अर्ध्य दें। और इस समय सुर्यदेव के मंत्रों का जाप करें और 7 बार अर्ध्य दें।
ध्यान रहे की सूर्य की रौशनी जल की धारा से आपके शरीर पर पड़े इसके बाद धूप, दीप से सूर्यदेव का पूजन करें और सूर्यदेव की कृपा के िलए हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
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इन गलतियों का रखें ध्यान
सूर्य देव की पूजा कभी भी बिना नहाये न करें।
सूर्य को अध्र्य देते समय जल में गुड़ और चीनी नहीं मिलाएं बल्कि पुष्प और रोली डालकर अर्ध्य दें।कभी भी अध्र्य देते समय स्टील, चांदी, कांच या फिर प्लास्टिक के बर्तनों का प्रयोग न करें सिर्फ तांबे के बर्तनों का प्रयोग करें।
सूर्य देव की पूजा करते समय सूर्य देव के 12 नामों का उच्चारण अवश्य करें।