एचआईवी एड्स को फैलने से रोकने में दुनिया के सबसे पुराने बंदरों की एक प्रजाति हमारी मदद कर सकती हैं। हालही में वाशिंगटन में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में उन क्षेत्रों में गहन रिसर्च की गई है, जहां पर एचआईवी का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इन क्षेत्रों की पहचान कर उनमें प्रतिरक्षा प्रणाली निर्मित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-बता दें कि, एचआईवी एड्स सबसे ज्यादा खतरनाक बीमारी के रूप में फैलती जा रही है। विश्व संगठनों ने भी इसे सबसे बड़ी वैश्विक चिंताओं में शामिल किया है। दुनिया भर के वैज्ञानिक इसका उपचार तलाशने में जुटे हुए हैं। इसको ध्यान में रखते हुए हालही में हुए नए शोध ने एक उम्मीद जगाई है। वाशिंगटन में हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि दुनिया के सबसे पुराने बंदरों की प्रजाति में वह संभावनाएं मौजूद हैं, जिनसे एचआईवी के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र तैयार किया जा सकता है।
यह है सबसे पुराने बंदरों की प्रजाति
अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि दुनिया के सबसे पुराने ‘रीसस मैकक’ प्रजाति के बंदर एचआईवी से लड़ने में हमारी मदद कर सकते हैं। अध्ययन के अनुसार इन बंदरों में पाए जाने वाले एक लचीला वायरस एचआईवी वायरस की तरह ही दिखता है। यह वायरस आमतौर पर लोगों को संक्रमित करता है। इसे एंटीबॉडी के रूप में इस्तेमाल कर एचआईवी से लड़ने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
-शोध के अनुसार, बॉडी को एक ऐसा प्रतिरक्षा तंत्र निर्मित करने की जरूरत है जो बॉडी के लिए प्रोटीन का आवरण तैयार कर सकें। इस आवरण के तैयार होने से वायरस के हमले को बाहर ही समाप्त किया जा सकेगा।
-जर्नल ऑफ इम्यूनिटी में प्रकाशित हुए अध्ययन के निष्कर्ष में अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई हैं। अध्ययन में शामिल एक शोधकर्ता डेनिस बर्टन ने कहा, ‘हमने शोध में पाया कि टीकाकरण के माध्यम से जानवरों के शरीर में पहुंचाए गए ये एंटीबॉडीज उन वायरस से जानवरों की रक्षा कर सकते हैं, जो एचआईवी की तरह दिखते हैं।’ हालांकि अभी इस टीके का परीक्षण मनुष्यों पर नहीं किया जा सका है, फिर भी यह एचआईवी के लिए विकसित किए जा रहे उपचार के लिए एक दिशा निर्देशक साबित होगा।
-शोधकर्ताओं ने पाया कि, टीकाकरण के बाद कुछ ही हफ्तों और महीनों के अंदर एचआईवी प्रोटेक्शन वेन का स्तर गिरना शुरू हो गया। यह एक अच्छा संकेत भी है। उन्होंने टाइमर के जरिए वायरस को लगातार ट्रैक किया। इस अध्ययन में यह भी बात सामने आई है कि, यदि इम्यून सिस्टम यदि मजबूत हो तो बड़ी से बड़ी बीमारी से लड़ा जा सकता है।