स्पर्म और एग डोनेशन के बढ़ते बाजार में डोनरों को किसी भी शर्त पर पहचान जाहिर ना होने की गारंटी दी जाती है. डोनर बैंक डोनर की पहचान बेहद गोपनीय रखते हैं. 9 दिनों तक जीनोलॉजिकल रिसर्च और रेयान क्रैमर को पता चल गया कि उसका जैविक पिता कौन है. जिस शख्स को लगता था कि स्पर्म डोनेट करने के बाद उसकी पहचान कभी जाहिर नहीं हो पाएगी और किसी को उसके स्पर्म से जन्मे बच्चे के बारे में पता नहीं चल पाएगा, लेकिन उसकी गुमनामी से पर्दा हट गया. ऐसा तब है जब उसने खुद कभी डीएनए टेस्ट नहीं कराया.
13 साल बाद अब इंडिविजुअल डीएनए टेस्ट किट के आविष्कार से डोनर के स्पर्म या एग से जन्मे लोगों के लिए एक नई राह खोल दी है. दिन पर दिन तकनीक के इस्तेमाल से अपने डोनर की पहचान जानने वालों की तादाद बढ़ती ही जा रही है. डोनर की पहचान खुलने से कई लोगों की निजी जिंदगी प्रभावित हो रही है.
डीएनए डिटेक्टिव्स के फाउंडर और जेनेटिक जिनोलॉजिस्ट सेसे मूरे का कहना है, लेकिन अब चीजें बहुत तेजी से बदल रही हैं.
मूरे ने कहा, ये सोचना मूर्खता है कि कोई स्पर्म या एग डोनेट करने के बाद अमेरिका में अपनी पहचान छुपाए रह सकता है, अब ऐसा नहीं होने जा रहा है.
अगर कोई शख्स किसी भी कंज्यूमर एनसेस्ट्री साइट को अपना डीएनए नहीं भी भेजता है तो भी डोनर की पहचान किसी दूर के कजिन के डीएनए टेस्ट के जरिए जेनेटिक करीबी को देखकर की जा सकेगी.
यूएस में करीब 1 करोड़ लोग डीएनए टेस्ट करा चुके हैं, ऐसे में संभावना यही है कि ऑनलाइन प्रोफाइल के जरिए लोग किसी ना किसी तरह से लिंक हैं अमेरिकन सोसायटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में अध्यक्ष पीटर स्कलीगल ने कहा, किसी ना किसी वक्त लोगों की पहचान जाहिर होनी तय है और तब गंभीर नतीजे सामने आएंगे. मुझे हैरानी होगी अगर अगले 5 सालों में इसे गंभीर चर्चा का हिस्सा नहीं बनाया गया.
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क्रैमर को डीएनए किट बेचने वाली वेबसाइट ने पाया कि उसके डेटाबेस में दो ऐसे लोगों की पहचान की जो क्रैमर के साथ जीनोम की समानता रखते हैं. इसका मतलब था कि क्रैमर और इन दोनों शख्स के पूर्वज एक हो सकते हैं क्रैमर और उसकी सिंगल मां वेंडी ने लॉस एंजेल्स के पब्लिक रिकॉर्ड्स से पूछताछ की. वे डोनर की जन्म की तारीख जानते थे- यह इकलौती जानकारी उन्हें स्पर्म बैंक से मिली थी. वे देखना चाहते थे कि क्या उन दोनों में से किसी का सरनेम उनसे मैच खाता है
बिंगो- उन्हें अपना मैच मिल गया था. क्रैमर ने बिंगो को फोन किया जो यह जानकर बहुत रोमांचित हुआ. उसके बाद से दोनों लगातार बातचीत करते हैं.
डोनर सिबलिंग रजिस्ट्री की स्थापना करने वाले वेंडी क्रैमर ने बताया, वह पहले ऐसे डोनर स्पर्म से जन्मे शख्स थे जिसने डीएनए टेस्ट के जरिए अपने डोनर को ढूंढ निकाला था. उनकी रजिस्ट्री के फिलहाल 60,000 सदस्य हैं.
डीएनए मैच कराने की सेवा देने वालीं कई वेबसाइट जैसे- एंसेस्ट्री, फैमिली ट्री डीएन, माई हेरिटेज के इतने यूजर्स हो चुके हैं कि यह असंभव है कि किसी को अपना दूर का एक रिश्तेदार ना मिल सके.
जीनयालॉजी टूल्स से फैमिली ट्री बनाए जा सकते हैं. इसमें रिकॉर्ड्स, डेथ नोटिस, सेंसस रिकॉर्ड और न्यूजपेपर आक्राइव की भी मदद ली जाती है.
उसके बाद संभावित डोनर सेक्स, उम्र और जगह के हिसाब से छांट लिया जाता है. जितने ज्यादा पब्लिक रिकॉर्ड्स होंगे, उतनी ही ज्यादा तलाश जल्दी खत्म होने की संभावना होती है.
डीएनए साइट्स की बदौलत 2017 से 8 भाइयों-बहनों को मिला दिया गया.
क्रैमर ने कहा कि वह बॉयोलॉजिकल पैरेंट्स को खोज निकालते रहेंगे और उन्हें इस काम में कुछ भी अजीब नहीं लगता है.
2015 और 2017 के दौरान डीएनए किट्स की बिक्री बढ़ने की वजह से यूएस में कई डीएनए प्रोफाइल्स वाली वेबसाइट बन गईं. इसी दौरान एरिन जैक्सन नाम की महिला को पता चला कि वह स्पर्म डोनेशन से पैदा हुई हैं. उन्होंने तुरंत ही अपना डीएनए टेस्ट कराया और उनका एक हाफ ब्रदर निकल आया. फ्रीलांस राइटर जैक्सन ने कहा, हम दोनों में गजब की समानताएं थीं.
थोड़ी रिसर्च के बाद महिला और उसके पति ने डोनर की एंसेस्ट्री का पता लगा लिया. लेकिन जब उसने अपने बॉयलॉजिकल पिता को फोन लगाया तो उसने दोबारा संपर्क नहीं करने के लिए कहा.
जैक्सन ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि पहचान जाहिर ना होने की शर्त खत्म होने के साथ स्पर्म बैंक एक ही डोनर से पैदा होने वाले बच्चों की संख्या को सीमित करेंगे. डोनरों का गुमनाम ना होना एक अच्छी चीज है.’
यूएस का मामला दिखाता है कि भविष्य में एग और स्पर्म डोनेट करने वालों की पहचान जाहिर होने खतरा होगा. फ्रांस में डोनरों की पहचान छिपाने को लेकर गंभीर बहस चल रही है और फिलहाल यहां डीएनए टेस्ट को लेकर कानून सख्त है.