अमेरिकी ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष जनरल जुबैर महमूद हयात से भेंट कर दक्षिण एशिया के मौजूदा सुरक्षा हालात पर चर्चा की. पेंटागन ने बताया कि डनफोर्ड ने इस सप्ताह ‘काउंटर वायलेंट एक्सट्रीमिस्ट चीफ्स ऑफ डिफेंस कांफ्रेंस’ की मेजबानी की थी जिसमें 80 से ज्यादा देशों के रक्षा प्रमुखों ने हिस्सा लिया था. ‘ज्वाइंट बेस एंड्र्यूस’ में आयोजित इस सम्मेलन के दौरान हिंसक चरमपंथी संगठनों से निपटने पर चर्चा हुई. जनरल हयात ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया.
ज्वाइंट स्टाफ के प्रवक्ता कर्नल पैट्रिक एस. रायडर ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों (डनफोर्ड और हयात) ने दक्षिण एशिया में मौजूदा सुरक्षा हालात पर चर्चा की. पेंटागन की ओर से जारी बयान के अनुसार, पूरे सम्मेलन में डनफोर्ड ने सैन्य नेटवर्क में विस्तार की जरूरत और हिंसा से निपटने के लिए साथ मिलकर प्रयास करने पर जोर दिया.
भारत से क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा : पाकिस्तान
उधर, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सोमवार को कहा कि भारत के आक्रामक रवैये और उसके द्वारा खतरनाक हथियारों को शामिल करने से दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को खतरा है. यहां एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ‘वैश्विक अप्रसार व्यवस्था : चुनौतियां और प्रतिक्रिया’ को संबोधित करते हुए अल्वी ने कहा, “दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता को भारत के आक्रामक रवैये और खतरनाक हथियारों को शामिल करने से खतरा है.”
रेडियो पाकिस्तान ने उनके हवाले से कहा, “कुछ देशों द्वारा भारत को परमाणु प्रौद्योगिकी और उन्नत सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति के संबंध में भेदभाव पूर्ण छूट ने क्षेत्रीय सुरक्षा को और जटिल बना दिया है और अप्रसार व्यवस्था की जवाबदेही को कमजोर कर दिया है.”
राष्ट्रपति ने हालांकि उम्मीद जताई कि पाकिस्तान और भारत रणनीतिक स्थिरता के लिए एक संरचना पर सहमति जताएंगे.
अल्वी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि अच्छी भावना प्रबल होगी. पाकिस्तान क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और लगातार संयम व जवाबदेही का प्रदर्शन करता रहेगा.”
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से सर्जिकल स्ट्राइक और सीमित युद्ध की चर्चा पर संज्ञान लेने का आह्वान करते हुए कहा, “किसी को भी पाकिस्तान की क्षेत्रीय सुरक्षा व संप्रभुता की रक्षा करने की क्षमता पर शक नहीं करना चाहिए.”
अल्वी ने कहा, “इस्लामाबाद ने विश्वास बहाली के उपायों, हथियारों की होड़ से बचने के लिए भारत से सार्थक वार्ता की उम्मीद नहीं छोड़ी है. दोनों देशों को सेना पर खर्च को बचाने और इसे गरीबों के कल्याण पर खर्च करने की जरूरत है.