देश की नौ स्पेशल फोर्सेज में से एक नेशनल सिक्योरिटी गार्डस का आज स्थापना दिवस है। एनएसजी आज अपना 34वां स्थापना दिवस मना रहा है। एनएसजी भारत की स्पेशल फोर्स में से एक है, जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है, जिसका मुख्य कार्य आतंकी गतिविधियों से देश के आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखना होता है। विश्व की टॉप पांच स्पेशल फोर्स में एनएसजी का नाम आता है।
क्यों और कब बनाने की ज़रूरत पड़ी
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड यानि एनएसजी, की स्थापना वर्ष 1984 में हुयी थी।यह वो वक्त था जब भारत के पंजाब राज्य में अलग खालिस्तान राज्य की मांग को लेकर एक आंदोलन चलाया जा रहा था। जिसकी वजह से समूचे पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया था। पंजाब में कानून व्यवस्था और आतंकी वारदातों को रोकने के लिए स्पेशल फोर्स की जरुरत महसूस हुई, जिसके बाद एनएसजी की स्थापना की गयी।
एनएसजी कमांडो की ट्रेनिंग
एनएसजी कमांडो काले रंग की ड्रेस पहनते हैं, जिसकी वजह से इन्हें ब्लैक कैट कमांडो भी कहा जाता है। एनएसजी कमांडो की शुरुआती 90 दिनों की ट्रेनिंग हरियाणा के मानेसर में होती है। इस ट्रेनिंग को पूरी करने वाले सैनिकों को नौ महीने की और ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके तहत उन्हे 26 पैमानों पर खरा उतरना होता है। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्हें ऊंचाई से छलांग लगाने के साथ तनाव के दौरान कार्य करने, निशाना लगाना की ट्रेनिंग दी जाती है। एनएसजी कमांडो को पार्कर और पेक्की-तिरसिया काली की तर्ज पर प्रशिक्षित किया हैं, जो कि फिलीपींस के मार्शल आर्ट का एक रूप है। नौ माह की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन्हें अगले दौर की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग इनती कठिन होती है कि इसमें करीब 50 से 70 फीसद सैनिक बाहर निकल जाते हैं। एनएजी कमांडो को सीधे सिर पर गोली मारने की ट्रेनिंग दी जाती है।
नेशनल सिक्योरिटी गार्डस फोर्स की संरचना
एनएसजी को जर्मनी की जीएसजी-9, बार्डर गार्ड ग्रुप की तर्ज पर बनाया गया है। जीएसजी-9 को आतंक विरोधी कार्रवाई के लिए विश्व की सबसे आला दर्जे की स्पेशल फोर्स माना जाता है। एनएसजी में भर्ती पूरी तरह से डेपुटेशन पर होती है। सेना के लोगों के लिए डेपुटेशन की 2-3 साल के बीच होती है। पैरामिलिटरी फोर्सेज के लोगो के लिए यह अवधि 2-5 साल के बीच होती है। एनएसजी कमांडो को दो समूहों स्पेशल एक्शन ग्रुप और स्पेशल रेंजर्स ग्रुप में बांटा जाता है। स्पेशल एक्शन ग्रुप में 54 फीसद सैनिक शामिल किये जाते है और बाकी एनएसजी कमांडो को केंद्रीय पुलिस संगठन, सीआरपीएफ, बीएसफ और इंडो तिब्बतन बार्डर पुलिस और रैपिड एक्शन पुलिस के साथ साझा कार्रवाई के लिए रखा जाता है।
एनएसजी की स्थापना के बाद से ही NSG ने अपने हर मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया है। NSG का मुख्य काम एंटी हाईजैक और एंटी टेररिज्म और वीआईपी लोगों की सुरक्षा करना है। NSG का हेडक्वार्टर गुरुग्राम में स्थित है. मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमला हुआ। आतंकवादियों को खत्म करने के लिए NSG कमांडो को भेजा गया। मुंबई हमलो के बाद NSG कमांडो को अन्य शहरो में भी नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स फाॅर्स के सेंटर बनाने की बात को महसूस किया गया। राजधानी दिल्ली के अलावा कोलकाता,हैदराबाद,चेन्नई और मुंबई में NSG के सेंटर बनाये गए।
गांधीनगर अक्षरधाम मंदिर हमला – सितम्बर 2002 में गुजरात के गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर में आतंकवादी हमला किया था। गुजरात के गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर पर 24 सितंबर 2002 को दो बंदूकधारियों ने हमला किया था। हमले में 30 लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे। हालांकि अगर एनएसजी कमांडो को सही वक्त पर नहीं उतारा गया होता, तो मृतकों की संख्या ज्यादा हो जाती। एनएसजी कमांडो ने मंदिर पर हमला करने वाले दोनों आतंकवादियों को मार गिराया गया था।
मुंबई 26/11 हमला – मुंबई में 26 नवंबर को हुए आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 164 लोगों की मौत हो गयी थी, जबकि 308 लोग मारे गये थे। पाक प्रयोजित इस आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद है। उसकी अगुवाई में मुंबई के छह स्थानों पर आतंकी हमले किये गये। इनमें ताज होटल, कामा अस्पताल, ओबेराय ट्रिडेंट अस्पताल, रेल टर्मिनल, लियोपोल्ड कैफे और मुंबई चबद हाउस शामिलि थे। आतंकियों के खिलाफ एनएसजी की ओर से ऑपरेशन ब्लैक टार्नेडो चलाया गया और सभी नौ आतंकियों को मार गिराया गया और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया। हालांकि इस ऑपरेशन में एनएसजी के एक कमांडो संदीप उन्नीकृष्णनन और गजेंद्र सिंह बिष्ट को जान गवानी पड़ी।
पठानकोट एयरबेस हमला – जनवरी के पहले हफ्ते में पंजाब स्थित एयरफोर्स बेस पर आतंकवादियों के हमला किया।एयरबेस पर हमले में शामिल आतंकवादियों के खात्मे के लिए NSG कमांडो को पठानकोट भेजा गया। NSG ने अन्य सुरक्षा कर्मियों के साथ हमले में शामिल सभी आतंकवादियों को मार गिराया।