प्रतापगढ़ में मानवरहित रेलवे क्रासिंग पर हादसे रोकने के लिए रेल महकमे ने नई पहल की है। अब वहां भूतपूर्व सैनिकों की तैनाती की जाएगी। इसके लिए विभाग की तैयारी अंतिम चरण में है। ऐसा करके विभाग जहां हादसे रोकने में सफल होना चाहता है, वहीं पूर्व सैनिकों को भी पुन: केंद्रीय विभाग के साथ जुड़कर कार्य करने का मौका मिलेगा।
लखनऊ मंडल में 109 ऐसी क्रासिंसग हैं, जहां गेटमैन नहीं हैं। जो थे उनके रिटायर होने के बाद वहां समस्या बन गई है। हादसे भी हुए, जिससे रेलवे की किरकिरी हुई और जानमाल का नुकसान हुआ। इसके विकल्प की तलाश में महकमा जुटा रहा। साल भर पहले यूपी सरकार व रेलवे ने मिलकर इस पर मंथन किया तो होमगार्डों को गेटमैन के तौर पर तैनाती का फैसला किया गया। इसके लिए होमगार्ड विभाग से जवान मांगे गए। प्रतापगढ़ समेत कुछ जिलों में इनको तैनात किया गया, लेकिन इनकी कार्यशैली संतोषजनक न होने से यह करार खत्म कर दिया गया। अब यह जिम्मेदारी रिटायर्ड फौजियों को सौंपे जाने की तैयारी है। रेल महकमे ने इसके लिए 109 मानवरहित क्राङ्क्षसग चिह्नित कर लिया है।
चार-चार की होगी तैनाती :
एक मानवरहित रेलवे क्राङ्क्षसग पर चार पूर्व सैनिक तैनात किए जाएंगे। वह दो शिफ्ट में कार्य करेंगे। इनको विभाग सम्मानजक मानदेय समेत सुविधाएं भी देगा।
संगठन से की डिमांड :
पूर्व सैनिकों की डिमांड रेलवे ने पूर्व सैनिक कल्याण संगठन दिल्ली से की। रेल बोर्ड की ओर से की गई मांग पर इच्छुक सैनिकों को सूची उपलब्ध कराने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ी है।
बेमौत मारे गए थे 14 लोग :
प्रतापगढ़-वाराणसी रेल मार्ग पर 12 मई 1993 को आमापुर बेर्रा मानवरहित रेलवे क्राङ्क्षसग पर भीषण हादसा अब तक लोग नहीं भूले हैं। मानधाता से बरात रानीगंज थाना क्षेत्र के आमापुर बेर्रा गांव के पूर्व प्रधान उदय भान ङ्क्षसह के यहां आई थी। बरातियों से भरी जीप क्राङ्क्षसग पर फंस गई और नीलांचल एक्सप्रेस ने उसके परखचे उड़ा दिए। इस हादसे में नर्तकियों समेत 14 लोगों की मौत हो गई थी।
गेटमैन की कमी होने से यह व्यवस्था की जा रही है। अभिलेखीय कार्य पूरा कर लिया गया है। उम्मीद है कि अगले महीने से पूर्व सैनिक मोर्चा संभाल लेंगे।