चुनाव आयोग ने तय कर दिया है कि विधानसभाएं या लोकसभा समय पूर्व भंग होते ही आचार संहिता लागू हो जाए। तेलंगाना विधानसभा भंग किए जाने के बाबत यह अहम फैसला है। चुनाव आयोग ने सभी राज्यों को भी इसकी सूचना दे दी है।
आयोग अपने स्तर पर इसकी चर्चा कर चुका और उसमें इस पर सर्वसम्मति है कि ऐसा किया जाना चाहिए। बताया जाता है कि यह व्यवस्था लागू करने का विचार इसलिए किया गया है कि क्योंकि अक्सर ही सदन भंग किए जाने के बाद भी कार्यवाहक सरकारें बड़े महत्व के फैसले लेती रहती हैं। वह अपने तरीके से सरकारी रीति-नीति की मदद से मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं।
कुछ सप्ताह पहले तेलंगाना में विधानसभा को निर्धारित कार्यकाल (जून 2019) पूरा होने से पहले ही भंग किए जाने के परिप्रेक्ष्य में आयोग का यह निर्णय महत्वपूर्ण है। चुनाव आयोग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आगाह किया है कि जनता को प्रभावित करने वाले बड़े नीतिगत फैसले ना लिए जाएं।
आयोग के अनुसार यह फैसला न्यायालय के 1994 के उस फैसले के अनुरूप है जिसमें कार्यवाहक सरकार को सिर्फ सामान्य कामकाज करने का अधिकार होने का प्रावधान है। ऐसी स्थिति में कार्यवाहक सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकती है।