भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य व एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत का मामला फिर चर्चा में है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने करीब 50 वर्ष बाद एक बार फिर उनकी रहस्यमय मौत की फाइल एक बार खुलवाने के साथ ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है। अब डिप्टी एसपी रेलवे जुटा रहे पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत के साक्ष्य जुटा रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के एक भाजपा नेता की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने आइजी जीआरपी से रिपोर्ट मांगी है। अब वाराणसी के डीएसपी जीआरपी इस मौत से जुड़े तथ्य जुटा रहे हैं, क्योंकि मुगलसराय (दीनदयाल उपाध्याय) स्टेशन का जीआरपी थाना उन्हीं के रेंज में आता है, जहां पं. दीनदयाल की मौत हुई थी। मुगलसराय के जीआरपी थाने में क्राइम नंबर 67/1968 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज केस में वाराणसी के निवासी राम अवध, लालता और भरत लाल के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। करीब साल भर तक चले मुकदमे का ट्रायल पूरा होने के बाद बनारस की सेशन कोर्ट ने जून 1969 में राम अवध के साथ लालता को बरी कर दिया था। भरत लाल को चोरी की धारा 379/ 411 के तहत दोषी ठहराते हुए चार साल की सजा सुनाई थी। थाने के जिस रजिस्टर संख्या चार में इस केस का डिटेल्स दर्ज है, वह रेलवे पुलिस के रिकार्ड में अब भी सुरक्षित है।