नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह को मंजूरी दे दी है कि वो अपने बड़े भाई मालविंदर और पूर्व-रेलिगेयर प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ अपनी याचिका को वापस ले लें।
शिविंदर ने इससे पहले इस महीने की शुरुआत में एनसीएलटी में अपने भाई के खिलाफ याचिका दाखिल कराई थी। शिविंदर ने आरोप लगाया है कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों से कंपनियों और शेयरधारकों का अहित हुआ है। एनसीएलटी की दो सदस्यीय पीठ जिसके चेयरमैन जस्टिस एमएम कुमार हैं ने शुक्रवार को शिविंदर को अनुमति दी थी कि वो अपनी याचिका वापस ले लें।
क्या था शिविंदर का आरोप?
शिविंदर ने कहा, “मैंने आरएचसी होल्डिंग, रेलिगेयर और फोर्टिस को नुकसान पहुंचाने व कुप्रबंधन को लेकर मालविंदर और सुनील गोधवानी के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर किया है।” उन्होंने कहा कि यह कदम बहुत पहले ही उठाया जाना था, लेकिन वे यह सोचकर रुके रहे कि शायद स्थितियां सुधर जाएं और पारिवारिक विवाद का एक और बुरा अध्याय न लिखना पड़े। शिविंदर ने कहा कि मालविंदर और गोधवानी की गतिविधियों ने विधिवत तरीके से कंपनियों व शेयरधारकों के हितों को नुकसान पहुंचाया। इससे समूह के निष्ठावान ग्राहकों भी नुकसान हुआ।