सिनेमा के कैनवास पर कई रंग बिखरे हुए हैं। इन रंगों में एक गाढ़ा रंग युसूफ़ ख़ान यानी दिलीप कुमार भी भरते हैं। इन दिनों दिलीप कुमार साहब की तबियत ठीक नहीं रहती। समय-समय पर उनकी तबियत बिगड़ने की ख़बरें आती रहती हैं। हाल ही में वो लीलावती अस्पताल में निमोनिया होने के बाद एडमिट हुए थे। उनकी पत्नी सायरा बानो के मुताबिक अब उनकी सेहत में काफी सुधार है!
आपको बता दें कि दिलीप कुमार अभिनेताओं की इस पीढ़ी से आते हैं जो बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आकर बस गए। दिलीप कुमार का जन्म भी पेशावर में हुआ था। उनके पिता देश के बंटवारे के बाद मुंबई आ गए थे। दिलीप कुमार ने एक्टिंग की कोई ट्रेनिंग कभी नहीं ली, वे एक स्वाभाविक अभिनेता रहे हैं। उनकी लाइफ की कहानी भी कम फ़िल्मी नहीं है। पिछले साल ही एक लंबे इंतज़ार के बाद दिलीप कुमार की आत्मकथा ‘दिलीप कुमार: सब्स्टंस ऐंड द शैडो’ आई। सायरा बानो के मुताबिक दिलीप कुमार मतलब वह आदमी जिसने करीब-करीब अकेले दम पर हिंदी सिनेमा का मतलब और उसका स्वरुप भी बदल डाला! उनकी यादों के पन्ने बेहद ही हसीन हैं और जो हसीं और ख़ास नहीं है, वह दिलीप कुमार के काम का नहीं।