जेवर एयरपोर्ट परियोजना से विस्थापित 1905 परिवारों के पुनर्वास पर करीब ढाई हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। सबसे अधिक रकम विस्थापित परिवार को दूसरी जगह पर बसाने में खर्च होगी। स्टांप शुल्क में किसानों को छूट देने के लिए सरकार करीब दो सौ करोड़ रुपये अपने खाते से वहन करेगी।
जेवर एयरपोर्ट की जमीन अधिग्रहण पर किसानों की सहमति लेने की प्रक्रिया चल रही है। विस्थापित प्रत्येक परिवार को गांव में उनके मौजूदा घर के क्षेत्रफल के बदले पचास फीसद का भूखंड मिलेगा। इन परिवार को भूखंड देने के लिए करीब दो सौ हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी।
प्राधिकरण की मौजूदा दर के हिसाब से जमीन की खरीद पर करीब डेढ़ हजार करोड़ खर्च होंगे। प्राधिकरण किसानों से जो जमीन खरीदता है, उसे विकसित करने के बाद मात्र 28 फीसद जमीन ही आवंटन के लिए शेष बचती है। शेष जमीन जन सुविधा मसलन पार्क, सड़क, सीवर, बिजली लाइन, पेयजल पाइप लाइन, हरित पट्टी, स्कूल, मंदिर, अस्पताल आदि के लिए चली जाएगी।
इसके अलावा किसानों को भूखंड की रजिस्ट्री शुल्क में भी छूट का वादा किया गया है। पुनर्वास पैकेज में सभी खातेदारों को पांच लाख 85 हजार रुपये मिलेंगे। इसमें पांच लाख रुपये नौकरी के एवज में होंगे। जबकि पचास हजार रुपये प्रभावित परिवार को अपने सामान को नई बसाई जगह पर ले जाने के लिए दिए जाएंगे।