हैरतअंगेज याददाश्त है 17 साल के जैन मुनि की, पढ़िए ये दिलचस्प कहानी

नाम- मुनि पद्माप्रभचंद्रसागर, उम्र सिर्फ 17 साल और दिमाग ऐसा की अच्छे-अच्छे भी इनके सामने फेल हो जाए। दो सितंबर को बेंगलुरु में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में वे अपने दिमागी कौशल से सबको रूबरु कराएंगे। कार्यक्रम में लोगों द्वारा पूछे जाने वाले 200 सवालों का जवाब उसी क्रम में देंगे। जैन भाषा में कहा जाए तो युवा मुनि ‘महा शतावधानी’ बन जाएंगे। जो श्लोक और गणित के 200 सवालों पर्यायवाची, विलोम और विदेशी वाक्यांश में जवाब दे सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि ‘अवधान’ संपूर्ण गतिविधि के लिए ध्यान देने की प्रक्रिया है। ‘शतावधानी’ वो शख्स होता है जो 100 चीजों को एक साथ याद कर सकता है।

मुंबई में 2014 में ‘शतावधन’ करने वाले पद्माप्रभचंद्रसागर आचार्य नयाचंद्रसागरजी के तीन शिष्यों में से एक हैं। उन्होंने आठवीं कक्षा तक पढ़ाई की है। आम तौर पर, कार्यक्रमों में भिक्षुओं को प्रश्नों के उत्तर देने, गणना करने, राग गाते हुए, विदेशी वाक्यांशों को याद रखने के लिए कहा जाता है। आयोजन में उन्हें विचलित करने के लिए तेज आवाज में संगीत भी बजाया जाता है।

नयाचंद्रसागरजी कहते हैं कि भिक्षुओं का शतावधानी’ बनना दुर्लभ है। उन्होंने कहा कि कठोर प्रशिक्षण एक शांत मन बनाता है। इस उपलब्धि को प्राप्त करने वाले तीन शिष्य इस बात को साबित करते हैं कि महान स्मृति अभ्यास से आती है जन्म से नहीं।

क्या है उनकी अद्भुत स्मरण शक्ति का राज?
– युवा मुनि द्वारा 200 प्रश्नों को याद रखने की कला को ‘महा शतावधन’ के रूप में जाना जाता है। ‘अवधान’ का अर्थ है एक गतिविधि को एक बार में परिवर्तित करना।

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