शहरी बेघर लोगों के लिए अपने आदेशों का पालन न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में उसकी सीमाएं हैं। मामले में कई प्रदेशों ने शीर्ष अदालत के बेघरों के लिए सुविधाओं के इंतजाम करने के आदेश का पालन नहीं किया। शीर्ष अदालत ने इसी पर अपनी सीमा को स्पष्ट किया है।
इसी प्रकार से महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने जस्टिस लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष आठ अगस्त को एक मामले की सुनवाई में कहा था कि जन हित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायालयों को कठोर टिप्पणियों से बचना चाहिए। इससे पूरे देश को पीड़ा पहुंचती है।
मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए। उनकी मांग पर जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की मौजूदगी वाली पीठ पर कोई कड़ी कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया।